J&K NEWS: उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा जनता की आस्था लोकतंत्र मे है; देखे उन्होंने और क्या कहा
उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि कुछ लोग यह धारणा बनाने में जुटे थे कि अवाम की भलाई पड़ोसी के साथ है। मगर, लोकसभा चुनाव में अवाम ने 58 फीसदी से ज्यादा मतदान कर नैरेटिव को नकार दिया है और भारत के लोकतंत्र में पूरी आस्था जताई है।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हाएजं ने कहा कि घाटी के लोगों को अपना भविष्य भारत के लोकतंत्र में नजर आ रहा है। कुछ लोग यह धारणा बनाने में जुटे थे कि अवाम की भलाई पड़ोसी के साथ है। मगर, लोकसभा चुनाव में अवाम ने 58 फीसदी से ज्यादा मतदान कर नैरेटिव को नकार दिया है और भारत के लोकतंत्र में पूरी आस्था जताई है। उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा स्थानीय नेता यह स्वीकार कर रहे हैं कि राज्य में पत्थरबाजी कम हुई है, यही हमारी बड़ी उपलब्धि है। सिन्हा ने कहा कि जम्मू से आतंकवाद भी जल्द ही नेस्तनाबूद होगा।
अनुच्छेद-370 हटा तो मिला हक
सिन्हा ने कहा कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद राज्य में बड़ा बदलाव आया है। लोग खुली हवा में सांस ले रहे हैं। ओबीसी का आरक्षण दोगुना हो गया है। कश्मीरी पंडितों को न्याय मिला है। सड़क, रेल से लेकर एयर कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। पर्यटन बढ़ने से रोजगार भी बढ़े हैं।
कश्मीर में दस साल बाद चुनाव हो रहे हैं, ऐसी क्या पहल की आपने कि कश्मीर में चुनाव लायक माहौल तैयार हो पाया?
यह कहना उचित नहीं है कि दस साल बाद चुनाव हो रहा है। देशभर में ये नैरेटिव बन रहा है। चुनाव 2019 में होना था, जो 2024 में हो रहा है। 2019 में 5 अगस्त को संसद ने अनुच्छेद-370 हटा दी। देश के गृह मंत्री ने बिल प्रस्तुत करते हुए देश की संसद में जो बात कही, उसी सीक्वेंस में चीजें आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा सबसे पहले डीलिमिटेशन, क्योंकि लद्दाख निकलने के बाद जम्मू कश्मीर में 83 सीटें थीं, 7 बढ़ गईं। फिर विधानसभा चुनाव। और तीसरी बात, सही वक्त पर राज्य के दर्जे की बहाली। इसी सीक्वेंस में चीजें आगे बढ़ी हैं। 7 सीटों की हदें तय किए बिना तो चुनाव नहीं हो सकता था। उसे प्रशासन तो तय नहीं कर सकता। उसकी सांविधानिक व्यवस्था है। डिलिमिटेशन कमीशन का काम था। 2022 में ये फाइनल हुआ। अब 8 साल पुरानी वोटर लिस्ट पर चुनाव तो होता नहीं, तो उसपर काम हुआ। फिर यह निर्वाचन आयोग तय करता है, लोकसभा, विधानसभा चुनाव साथ हो या नहीं। लोकसभा चुनाव ने यह स्पष्ट किया कि 33 साल बाद अवाम ने भारत के लोकतंत्र में आस्था व्यक्त की। और जो नरैटिव बनाया जाता था कि अवाम की भलाई पड़ोसी के साथ है, यहां के लोगों ने उसे नकार कर कहा, हम भारत के लोकतंत्र के साथ हैं। 58 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ। एक भी आरोप नहीं लगा। पारदर्शी चुनाव हुआ।