छपिया पंचायत घोटाले पर ‘आनंद पब्लिक’ की रिपोर्ट का बड़ा असर

6.50 करोड़ के घोटाले की जांच में लापरवाही पर डीपीआरओ ने जताई सख्त नाराज़गी, जांच टली, जल्द गठित होगी नई टीम
अब सवाल..? जब मैडम के सामने नहीं हुआ कोई बवाल, तो झूठी रिपोर्ट क्यों..? निष्पक्ष जांच से हो सकता है बड़ा खुलासा, मास्टरमाइंड की होगी पहचान
आनंद पब्लिक, महराजगंज
परतावल/महराजगंज। जिले के परतावल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत छपिया में करीब 6.50 करोड़ रुपये की परफॉर्मेंस ग्रांट के घोटाले की जांच को लेकर एक बार फिर नया मोड़ आ गया है। 28 मई 2025 को जब डीपीआरओ श्रेया मिश्रा खुद मौके पर जांच के लिए पहुंचीं, तो माहौल बिगाड़ने की साजिश की गई। डीपीआरओ ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच को स्थगित कर दिया और जल्द एक नई जांच टीम गठित कर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी।
पूरा मामला क्या है…?
30 अप्रैल 2025 को ग्रामवासी सफीकुर्रहमान द्वारा जिलाधिकारी को शपथ पत्र देकर शिकायत की गई थी कि ग्राम पंचायत छपिया में आरसीसी सड़क, नाली आदि निर्माण कार्यों में अनियमितता, फर्जी भुगतान, अधूरे कार्य व घटिया निर्माण हुआ है।
डीपीआरओ कार्यालय ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए पत्रांक संख्या 376/पंचायत, दिनांक 21 मई 2025 को सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को जांच का आदेश दिया था।
पहली जांच तिथि 24 मई 2025 तय की गई, लेकिन न ही कोई अधिकारी मौके पर पहुंचा और न ही दस्तावेजी जांच या जनसुनवाई की गई। सूत्रों के अनुसार, एक सहायक अभियंता सिर्फ 23 मई को औपचारिक फोटो लेकर चला गया।
‘आनंद पब्लिक’ की रिपोर्ट से प्रशासन हरकत में
‘आनंद पब्लिक’ ने 17 और 25 मई को लगातार इस घोटाले पर रिपोर्टिंग की। विशेषकर 25 मई को प्रकाशित रिपोर्ट “ए साहिब, ये ठीक नहीं!” ने प्रशासन को झकझोर दिया। रिपोर्ट में सवाल उठाया गया कि जांच टीम तय तारीख पर क्यों नहीं पहुंची? इसके बाद डीपीआरओ श्रेया मिश्रा ने बताया था कि अपरिहार्एय कारणों से टीम 24 को नहीं पंहुच सकी और 28 मई को खुद मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की थी।
28 मई को क्या हुआ?
28 मई को डीपीआरओ स्वयं जांच टीम के साथ छपिया पंचायत पहुंचीं। जब दस्तावेजों की मांग व जनसुनवाई की शुरुआत हुई तो ग्राम प्रधान पक्ष द्वारा व्यवधान डालने की कोशिश की गई।
सूत्र बताते हैं कि यह विरोध पूर्व नियोजित साजिश थी ताकि जांच को प्रभावित किया जा सके।
डीपीआरओ ने हालात को भांपते हुए जांच को तत्काल स्थगित कर दिया और कहा कि नई टीम गठित कर गंभीर जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
डीपीआरओ की प्रतिक्रिया क्या रही?
‘आनंद पब्लिक’ संवाददाता से बातचीत में डीपीआरओ श्रेया मिश्रा ने स्पष्ट कहा:
“मेरे सामने दो पक्षों में कोई झगड़ा नहीं हुआ। बल्कि ग्राम प्रधान व उनके प्रतिनिधियों ने जानबूझकर गुस्ताखी की कोशिश की, जिससे जांच प्रभावित हो। इसलिए मैंने जांच रोकी और पूरी पारदर्शिता से पुनः टीम गठित कर जांच का निर्णय लिया।”
पुलिसिया कार्यवाही पर उठे सवाल
जांच टीम के जाने के बाद प्रधान पक्ष व विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया। भिटौली पुलिस द्वारा प्रधान पक्ष के एक व विपक्ष के तीन लोगों पर कार्रवाई की गई, जिससे क्षेत्र में सवाल उठने लगे कि क्या यह पक्षपातपूर्ण कार्यवाही थी?
ग्रामवासियों का कहना है कि जब जांच अधिकारी खुद यह कह रही हैं कि विरोध ग्राम प्रधान पक्ष की ओर से हुआ, तो विपक्ष के तीन लोगों पर कार्यवाही क्यों?
अब इस पुलिसिया कार्रवाई की भी जांच की मांग उठने लगी है।
चर्चा का विषय – मास्टरमाइंड कौन..?
पूरे घटनाक्रम के पीछे शह-मात के खेल की बू आ रही है। सवाल उठ रहा है कि जब डीपीआरओ के सामने कोई बवाल नहीं हुआ, तो ऐसी झूठी रिपोर्ट क्यों फैलाई गई?
क्या किसी बड़े घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश है?
क्या कुछ अधिकारी या स्थानीय प्रभावशाली लोग इस साजिश में शामिल हैं?
क्या होगी अगली कार्यवाही?
डीपीआरओ श्रेया मिश्रा ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही:
एक नई जांच टीम गठित की जाएगी।
दोषियों के विरुद्ध निलंबन या कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सड़क और नाली निर्माण के साथ-साथ फर्मों के दस्तावेज, पेमेंट वाउचर, और भुगतान की प्रक्रिया की बारीकी से जांच होगी।
ग्रामीणों को अब न्याय की उम्मीद
ग्रामीणों का कहना है कि अगर जांच ईमानदारी व पारदर्शिता से की गई, तो इस घोटाले का असली चेहरा सामने आ जाएगा।
अब नजरें डीपीआरओ की अगली कार्रवाई और जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।