BIHAR NEWS: जेडीयू ने साधा तेजस्वी पर निशाना; नीतीश सरकार मे फर्जी काम करके बचा नहीं जा सकता, नौकरों के नाम लिखवायी गयी जमीन का भी होगा सर्वेक्षण

बिहार में जारी भूमि सर्वेक्षण के बीच जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तंज कसा है। और कहा कि जो लोग भी अपने नौकरों के नाम से जमीन लिखवाए हुए हैं, उन्हें उन जमीनों से हाथ धोना पड़ेगा। नीतीश सरकार में फर्जी काम कराकर कोई बच नहीं सकता।



बिहार में इन दिनो भूमि सर्वे चल रहा है। जिसके तहत सभी लोगों को अपनी जमीन के सही जानकारी देनी होगी। मसलन उन्हें जमीन कैसे मिली, जमीन पुश्तैनी है, या फिर किसी से खरीदी गई है, या कोर्ट के ऑर्डर से मिली है। सभी तरह की जानकारी राजस्व भूमि सुधार विभाग को देनी होगी। और भूमि में गड़बडी मिलने और दावा झूठा होने पर जमीन सरकार ले लेगी। क्योंकि बीते सालों में सबसे ज्याद मामले सरकारी भूमि पर कब्जे और जमीन विवाद के आए हैं। इस बीच जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार नेता प्रतिपक्ष, पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर तंज किया है।

नीरज कुमार ने कहा कि तेजस्वी यादव यह जान लें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में कोई फर्जी काम कराकर बच नहीं सकता है। जो लोग भी अपने नौकरों के नाम से जमीन लिखवाए हुए हैं, उन्हें उन जमीनों से हाथ धोना पड़ेगा। आज भी बिहार में राज्य सीलिंग एक्ट 1961 प्रभावी है। जिसके तहत ग्रामीण इलाके में अगर किसी के पास 15 एकड़ से अधिक कृषि योग्य भूमि है, तो सरकार उसे अधिग्रहित कर सकती है। नीरज कुमार ने कहा कि ऐसे में तेजस्वी को ये समझना चाहिए कि उनके पास राज्य के कई जिलों में दर्जनों बीघा जमीन है। इन जमीनों का सर्वे कराने के लिए तेजस्वी को कागज दिखाने होंगे और पारिवारिक वंशावली भी देनी होगी, जिनमें बेटियों का भी हिस्सा तय होगा।

बिहार में जमीन सर्वे यानी भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया चल रही है। जिसमें अगर कोई पैतृक या पुश्तैनी जमीन है, उसका बंटवारा नहीं हुआ है तो उसमें बेटों के साथ बेटियों को भी बराबर का हिस्सेदार माना जाएगा। खातियान में बहन और बेटियों का भी नाम दर्ज कराना होगा। साल 2005 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 में संशोधन कर पैतृक संपत्ति में पुत्री को पुत्र के बराबर हक दिया गया था।

इसी को आधार मानकर बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण में बेटियों के अधिकार को सुनिश्चित किया है। बिहार में 20 अगस्त से जमीन सर्वे की शुरुआत हुई है। पहले चरण में ग्रामीण इलाकों में भूमि का सर्वेक्षण किया जा रहा है। सर्वे से सरकार को यह पता चल सकेगा कि कौन-सी जमीन किसके नाम पर है, उसका असली मालिक कौन है। इससे पारदर्शिता आएगी और जमीन विवादों का निपटारा करने में बहुत हद तक मदद मिलेगी।

 

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