बिहार में भूमि डिजिटाइजेशन की गड़बड़ियों से बढ़ा जमीनी विवाद, सरकार ने उठाया बड़ा कदम
पटना: बिहार में पिछले छह महीनों से चल रहे भूमि सर्वेक्षण और डिजिटाइजेशन में आई गड़बड़ियों के चलते कई जमाबंदियां लॉक हो गई थीं, जिससे जमीन से जुड़े लेन-देन, दाखिल-खारिज और अन्य कानूनी कार्य बाधित हो गए। इस समस्या के समाधान के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत लॉक जमाबंदियों की जांच और अनलॉक करने का अधिकार अब अंचल अधिकारियों (सीओ) को दे दिया गया है।
पहले यह अधिकार मि सुधार उप समाहर्ताओं (डीसीएलआर) के पास था, लेकिन प्रक्रिया धीमी होने के कारण अब यह अधिकार सीओ को स्थानांतरित कर दिया गया है। सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से भूमि से जुड़े मामलों के निपटारे में तेजी आएगी और आम लोगों को राहत मिलेगी।
भूमि डिजिटाइजेशन में सामने आईं बड़ी गड़बड़ियां
बिहार में भूमि के डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया में तकनीकी और प्रशासनिक गड़बड़ियों की वजह से करीब 10 लाख जमाबंदियां संदेहास्पद पाई गईं। इस प्रक्रिया में कई रैयतों के नाम, खाता संख्या, खेसरा, रकवा और लगान की जानकारियां गलत दर्ज कर दी गईं, जिससे कई जमाबंदियां लॉक हो गईं और लोग अपने जमीन से जुड़े कानूनी कार्य नहीं कर पा रहे थे।
इतना ही नहीं, कई मामलों में अंचलों में छूटी हुई जमाबंदियों को गलत तरीके से पंजी-2 में दर्ज कर ऑनलाइन कर दिया गया, जिससे 9.65 लाख से अधिक जमाबंदियां संदेहास्पद हो गईं। इन गड़बड़ियों के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और भूमि से जुड़े विवाद बढ़ने लगे थे।
लॉक जमाबंदियों को अनलॉक करने के नए नियम
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी समाहर्ताओं को पत्र जारी कर इस नई नीति की जानकारी दी है। नए दिशा-निर्देशों के तहत:
- रैयती जमीनों की लॉक जमाबंदियां अब अंचल अधिकारी (सीओ) द्वारा अनलॉक की जाएंगी।
- अगर लॉक जमाबंदी में सरकारी जमीन शामिल पाई जाती है, तो सीओ उसकी जांच करेंगे।
- अगर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा पाया जाता है, तो संबंधित पक्ष को नोटिस जारी किया जाएगा और उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस नई नीति से सरकार को उम्मीद है कि भूमि डिजिटाइजेशन से जुड़े विवाद जल्द ही समाप्त होंगे और आम जनता को अपने भूमि संबंधी मामलों के निपटारे में राहत मिलेगी।