बिहार में 1.90 लाख शिक्षकों के तबादले पर संकट, डीईओ की जांच के बाद ही होगा फैसला

पटना: बिहार में शिक्षकों के लिए स्थानांतरण नीति होने के बावजूद करीब 1.90 लाख शिक्षक तबादले के सिर्फ इंतजार में हैं। सरकार द्वारा लगातार नीति में बदलाव और नई शर्तों के चलते ट्रांसफर प्रक्रिया और जटिल हो गई है। हाल ही में शिक्षा विभाग ने एक नया निर्देश जारी किया है, जिसके अनुसार अब हर शिक्षक को अपने डीईओ (जिला शिक्षा पदाधिकारी) से प्रमाण पत्र लेना होगा कि उनके खिलाफ कोई लंबित कार्रवाई नहीं है।

 

ट्रांसफर पॉलिसी में नया बदलाव

शिक्षा विभाग ने सभी डीईओ को निर्देश दिया है कि वे स्थानांतरण आवेदन देने वाले शिक्षकों की पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह रिपोर्ट ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड की जाएगी और इसी के आधार पर शिक्षकों के ट्रांसफर को मंजूरी मिलेगी। इस नीति से खासतौर पर महिला शिक्षकों और दूरस्थ क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है।

 

डीईओ की रिपोर्ट होगी निर्णायक

प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार के अनुसार, यदि किसी शिक्षक पर सरकारी राशि बकाया हो, तो उसकी प्रविष्टि भी ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर करनी होगी। 5 फरवरी तक सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है, और तभी शिक्षकों के ट्रांसफर को लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा।

 

शिक्षक संघ का विरोध, भ्रष्टाचार का आरोप

शिक्षक संघों का मानना है कि डीईओ को ट्रांसफर प्रक्रिया में शामिल करना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा है। सेवानिवृत्त प्राचार्य शैलेन्द्र शर्मा ‘शैलू’ का कहना है कि यह नीति शिक्षकों से अवैध उगाही का एक नया तरीका हो सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब स्थानांतरण में घूसखोरी और दलाली का खेल तेज होगा, जिससे शिक्षकों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।

क्या होगा आगे?

सरकार के इस नए फैसले से शिक्षकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है, और कई संघ इस नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और शिक्षकों के हितों की रक्षा कैसे होती है।

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