इंस्पेक्टर की शहादत: अंतिम यात्रा में स्कूली बच्चों ने दी श्रद्धांजलि, बिलखते बेटे ने साझा की पिता की यादें

इंस्पेक्टर की शहादत: अंतिम यात्रा में स्कूली बच्चों ने दी श्रद्धांजलि, बिलखते बेटे ने साझा की पिता की यादें

मेरठ के गंगानगर में इंस्पेक्टर सुनील कुमार के अंतिम दर्शन को मसूरी गांव में हजारों लोग पहुंच गए। करीब 20 मिनट उनके पार्थिव शरीर को घर पर रखा और फिर श्मशान लेकर पहुंचे।

सांसद अरुण गोविल, एडीजी डीके ठाकुर और डीआईजी कलानिधि नैथानी सहित पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने पार्थिव शरीर को कंधा दिया। गांव में स्कूल के बच्चों ने सुनील कुमार पर फूल बरसाए। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। सभी लोग गमगीन थे।

पुलिस लाइन से गुरुवार सुबह 9:50 बजे सुनील कुमार का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव मसूरी इंचौली में पहुंच गया। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक उनके अंतिम दर्शन के लिए रोते बिलखते उनके घर पर पहुंच गए। बेटी नेहा, बेटा मंजीत, पत्नी मुनेश देवी, पुत्रवधू से लेकर भाई अनिल, रिश्तेदार तिरंगे में लिपटे शरीर को देख बिलख रहे थे।

परिजनों ने उन्हें किसी तरह संभाला। करीब 20 मिनट तक अंतिम दर्शन किए गए। उसके बाद शव को गांव के बाहर स्थित श्मशान पर ले जाया जाने लगा। जब अंतिम यात्रा घर से निकली तो करीब आधा किलोमीटर लंबी गली लोगों से भरी थी।

श्मशान पर मौजूद लोगों ने बताया कि वह पिछले चार साल पहले एसटीएफ में इंस्पेक्टर बन गए थे। परंतु अब भी जब वह गांव में आते तो हम उन्हें दरोगा जी ही पुकारते थे। वह हमेशा मुस्कुराकर चले जाते थे। रणवीर सिंह ने बताया कि वह साफ-सफाई को लेकर बहुत गंभीर थे। जब भी घर आते तो आराम करने की जगह घर की सफाई में जुट जाते थे। खेती में हाथ बंटाते थे। किसान नेता हरेंद्र ने कहा हम कई साल साथ ही पढ़े हैं। सुनील की पुलिस में ज्वाइनिंग हो गई थी। उनकी जांबाजी को अक्सर हमने देखा और गर्व किया। सुनील को अपने काम के प्रति जुनून था। कार्यशैली के चलते वह जल्द इंस्पेक्टर पदोन्नत हुए।

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