दिल्ली की ममता वशिष्ठ बनीं महाकुंभ में महामंडलेश्वर

2 महीने पहले हुई शादी, अब महाकुंभ में आ दिल्ली की ममता बनी महामंडलेश्वर,  पति भी थे साथ, अचानक क्या हुआ? - marriage took 2 months ago now after  coming to Mahakumbh

 

दिल्ली की रहने वाली ममता वशिष्ठ महाकुंभ में महामंडलेश्वर बन चुकी हैं। उन्हें यह उपाधि किन्नर अखाड़े में दी गई है। ममता ने दो महीने पहले ही गृहस्थ जीवन को छोड़कर संन्यास का मार्ग अपना लिया।

 

महाकुंभ में संन्यास का निर्णय

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जो 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक चलेगा। कई लोग महाकुंभ के दौरान दुनिया की मोह-माया को छोड़कर संन्यास लेने का निर्णय लेते हैं और अध्यात्म की राह अपनाते हैं। दिल्ली की ममता वशिष्ठ ने भी महाकुंभ के दौरान संन्यास का निर्णय लिया।

 

गृहस्थ जीवन का त्याग

महाकुंभ से दो महीने पहले ममता वशिष्ठ ने दिल्ली के संदीप वशिष्ठ से शादी की थी। लेकिन अब उन्होंने गृहस्थ जीवन को छोड़ दिया और संन्यास का मार्ग अपनाकर संन्यासी बन गईं। ममता ने इसके लिए अपना और अपने परिवार का पिंडदान किया।

 

सनातन धर्म का प्रचार

ममता का कहना है कि वह लोगों के बीच सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करना चाहती थीं, इस वजह से उन्होंने संन्यास लिया है। अब वह मानव कल्याण के लिए काम करेंगी। ममता ने बताया कि उनके पति और सास ने उनके इस फैसले का पूरा साथ दिया।

 

महामंडलेश्वर की उपाधि

ममता ने महाकुंभ में किन्नर अखाड़े के शिविर में पिंडदान की पूरी विधि का पालन किया। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें महामंडलेश्वर घोषित किया। इस महाकुंभ में किन्नर और महिला संतों के लिए पिंडदान के बाद मुंडन अनिवार्य नहीं किया गया, जिससे ममता को संन्यास अपनाने में कोई कठिनाई नहीं हुई।

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