त्रिवेणी तट पर उमड़ा आस्था का सैलाब, भक्ति में डूबी दुनिया; करोड़ों श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र डुबकी

त्रिवेणी तट पर उमड़ा आस्था का सैलाब, भक्ति में डूबी दुनिया; करोड़ों श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र डुबकी

तीर्थराज प्रयाग में सूरज की पहली किरण के निकलने से पहले ही घने कोहरे और कड़कड़ाती ठंड के बीच मकर संक्रांति के पावन पर्व पर महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व पर पूरी दुनिया भक्ति की त्रिवेणी में समा गई।

मंगलवार को सनातन परंपरा का निर्वहन करते हुए अखाड़ों ने संगम में दिव्य-भव्य अमृत स्नान किया। भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ बुद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा के साथ पहुंचे नागा साधु, संतों की दिव्यता और करतब देखकर श्रद्धालु निहाल हो उठे।

अखाड़ों के आचार्य, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर सज-धज कर रथों से संगम तक पहुंचे। देश ही नहीं, दुनियाभर के संस्कृति प्रेमी एक तट पर इस दुर्लभ घड़ी का साक्षी बनने के लिए ब्रहम मुहूर्त में ही उमड़ पड़े। आस्था की लहरों ने ऐसी हिलोरे ली कि देर रात तक 3.5 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगा चुके थे। अब मौनी अमावस्या पर 29 जनवरी को दूसरा अमृत स्नान, जबकि वसंत पंचमी पर तीन फरवरी को तीसरा अमृत स्नान होगा।

देश ही नहीं, एशिया से लेकर यूरोप तक के संस्कृति प्रेमी एक तट पर पुण्य की डुबकी लगाने और उस दुर्लभ घड़ी का साक्षी बनने के लिए उमड़ पड़े। आस्था की लहरें हिलोरें मारने लगीं। तीर्थराज में उजाले की एक किरण तक नहीं निकली थी कि हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा।

अमृत स्नान के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पहुंचे। पवित्र स्नान का यह दृश्य भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहराई को दर्शाता नजर आ रहा था। सबसे पहले अखाड़ों का शाही स्नान हुआ। पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ अपने शाही स्वरूप में अमृत स्नान किया।

साधु-संत घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा में शामिल हुए। उनके साथ चल रही भजन मंडलियों और श्रद्धालुओं के जयघोष ने माहौल को और दिव्य बना दिया। इससे पहले, महाकुंभ के प्रथम स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर 1.75 करोड़ लोगों ने पुण्य की डुबकी लगाई थी।

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