UP: 1978 का संभल दंगा, मुख्यमंत्री के दो दौरे के बावजूद हिंसा जारी

संभल में 1978 में हुए दंगे एक बार फिर चर्चा में हैं। उस समय की हिंसा इतनी गंभीर थी कि मुख्यमंत्री रामनरेश यादव को स्थिति को काबू में करने के लिए दो बार संभल का दौरा करना पड़ा, लेकिन फिर भी हालात नहीं सुधरे। इन दंगों में 184 लोगों की जान गई और पूरे क्षेत्र में दो महीने तक कर्फ्यू लगा रहा।
मुख्यमंत्री रामनरेश यादव ने 31 मार्च 1978 को दंगे के तीसरे दिन पहली बार संभल का दौरा किया। उन्होंने अधिकारियों के साथ मिलकर दंगाग्रस्त इलाकों का निरीक्षण किया और जनता से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने लोगों को अफवाहों से बचने और असामाजिक तत्वों की गतिविधियों से प्रभावित न होने की सलाह दी। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे लोगों के शस्त्र लाइसेंस रद्द कर उनके हथियार जमा करें। हालांकि, मुख्यमंत्री के दौरे के बाद 2 अप्रैल को कर्फ्यू में ढील दी गई, लेकिन इसके बाद हिंसा और बढ़ गई। कस्बे में चाकूबाजी की घटनाएं शुरू हो गईं और एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई। इसके बाद हत्याओं का सिलसिला जारी रहा और 11 अप्रैल तक मृतकों की संख्या 19 हो गई।
जब हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही थी, तो रामनरेश यादव ने 13 अप्रैल को फिर से संभल का दौरा किया। इस बार वह दो घंटे तक दंगा प्रभावित इलाकों में रहे और जनता से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने प्रशासन से भी सहयोग करने की अपील की और मोहल्ला सराय तारिन में एक सभा को संबोधित किया।
दंगों की शुरुआत गांधी मेमोरियल कॉलेज से हुई थी, जहां छात्रसंघ ने होली के मौके पर एक मजाकिया पर्चा प्रकाशित किया था, जिसमें दो लड़कियों के नाम भी थे। इस मजाक को सांप्रदायिक रंग दे दिया गया, और मुस्लिम लीग के नेता मजरशफी ने इसे और भड़काने के लिए कस्बे में जुलूस निकाला। यह जुलूस हिंसा में बदल गया और दंगे फैल गए।इन दंगों ने न सिर्फ संभल, बल्कि पूरे प्रदेश में सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द पर सवाल खड़े कर दिए। प्रशासन को हालात संभालने में बड़ी मुश्किलें आईं, और पूरे इलाके में तनाव का माहौल था।