महाकुंभ में किन्नर अखाड़े का अमृत स्नान, भक्तों में भारी उत्साह

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किन्नर अखाड़े के संतों के संगम तट पर पहुंचते ही माहौल रोमांचित हो उठा। लाखों भक्त उनके दर्शन के लिए आतुर हो गए, और जैसे ही किन्नर संतों के आने की खबर मिली, हर दिशा से जयकारे सुनाई देने लगे। अखाड़ा मार्ग के दोनों ओर भारी भीड़ जमा हो गई, और कई भक्त रथों के पीछे दौड़ते हुए संतों के चरण स्पर्श करने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन लोग बैरिकेड्स पार करते हुए किन्नर संतों के पास पहुंचने के लिए धक्कामुक्की करते नजर आए। शाही रथों और बग्घियों पर सवार होकर किन्नर संत अमृत स्नान के लिए संगम पहुंचे। स्नान के बाद, जब वे लौट रहे थे, तो उन्होंने भक्तों को निराश नहीं किया और उन्हें आशीर्वाद दिया, उनके सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया।

महाकुंभ 2025 के पहले अमृत स्नान के पवित्र अवसर पर किन्नर अखाड़ा प्रमुख आकर्षण बना। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में, किन्नर अखाड़े के सभी सदस्य दोपहर में संगम पहुंचे और अमृत स्नान में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने समाज के कल्याण और उन्नति की कामना की। महा संक्रांति के पर्व पर किन्नर अखाड़े ने अपने स्नान के जरिए यह संदेश दिया कि वे समाज की भलाई के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।”हर हर महादेव” के नारे लगाते हुए किन्नर अखाड़े के साधु संगम की ओर बढ़ रहे थे। आचार्य महामंडलेश्वर के साथ अन्य महामंडलेश्वर भी इस रैली में शामिल थे। इस दौरान, किन्नर अखाड़े के सदस्य पारंपरिक शस्त्रों का प्रदर्शन कर रहे थे और तलवारें लहराते हुए जयघोष करते हुए अमृत स्नान के लिए पहुंचे।

इस शस्त्र प्रदर्शन ने दर्शकों को आकर्षित किया और वातावरण में उत्साह भर दिया।किन्नर अखाड़े की सदस्य राम्या नारायण गिरी ने बताया कि अमृत स्नान के दौरान सभी सदस्य भारतवासियों की सुख-समृद्धि और देश के कल्याण के लिए प्रार्थना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह समाज को सकारात्मक संदेश देने का एक अवसर है। किन्नर अखाड़े ने इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि भारतीय संस्कृति में समाज के हर वर्ग का उत्थान और कल्याण महत्वपूर्ण है।

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