लखनऊ ब्लड बैंक धोखाधड़ी: “दो हजार में पेशेवर डोनर से खून”

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लखनऊ में निजी ब्लड बैंकों के रक्तदान शिविरों में खून की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यहां पेशेवर रक्तदाता आते हैं, जो बदले में पैसे लेते हैं। इन शिविरों में खून लेने के लिए दलालों द्वारा डोनरों की बोली लगाई जाती है, जो एक अवैध तरीके से काम कर रहे हैं। पेशेवर डोनर महंगे दामों पर खून देते हैं, जिससे खून की गुणवत्ता पर असर पड़ता है और यह प्रक्रिया एक व्यवसाय की तरह काम करती है।

अमर उजाला के संवाददाता हिमांशु अवस्थी ने इस बारे में पड़ताल की और एक दलाल से संपर्क किया। दलाल ने बताया कि वह खून देने के लिए पेशेवर डोनरों को भेजता है और इसके बदले उन्हें 2,000 रुपये प्रति डोनर का शुल्क लिया जाता है। वह नए लड़कों से खून निकलवाने का दावा करता है, जो इस प्रक्रिया को और भी संदिग्ध बना देता है। इस बात से यह साफ हो जाता है कि खून का यह व्यापार सिर्फ पैसे कमाने के लिए किया जा रहा है, न कि मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए।

समस्या और गहरी है क्योंकि निजी ब्लड बैंकों की निगरानी नहीं हो रही है। स्वास्थ्य विभाग इन शिविरों को अनुमति तो देता है, लेकिन उनकी मॉनीटरिंग नहीं करता। यह जिम्मेदारी ड्रग विभाग की होती है, जो खून की गुणवत्ता की जांच करता है, लेकिन यह विभाग भी इस पर गंभीर नहीं है। अधिकारियों के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग रक्तदान शिविरों की अनुमति देता है, जबकि ड्रग विभाग की जिम्मेदारी इन शिविरों की गुणवत्ता की जांच करना है। लेकिन दोनों विभागों के बीच जिम्मेदारी का विभाजन होने की वजह से इन शिविरों में खून की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं और यह प्रक्रिया अव्यवस्थित हो गई है।

नतीजतन, लखनऊ में इन रक्तदान शिविरों में खून के व्यापार के कारण खून की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, और यह केवल पैसों के लिए किया जा रहा है, जिससे मरीजों की सेहत पर असर पड़ सकता है। अगर विभागों की निगरानी सख्त नहीं होगी, तो यह कारोबार और बढ़ सकता है, जिससे जनता की सेहत को खतरा हो सकता है।

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