सिद्धिश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग गायब: खरमास के बाद नई स्थापना की तैयार

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वाराणसी के मदनपुरा इलाके में स्थित सिद्धिश्वर महादेव मंदिर से जुड़े घटनाक्रम ने शहर में नई चर्चा छेड़ दी है। लगभग 15 साल बाद मंदिर के कपाट खोले गए, लेकिन मंदिर का मूल पाषाण शिवलिंग गायब पाया गया। इसके स्थान पर खंडित नर्मदेश्वर शिवलिंग मिले हैं। ये शिवलिंग स्मृति स्वरूप हैं, जिन्हें किसी ने मंदिर में रखा था। मंदिर के जीर्णोद्धार और पाषाण शिवलिंग की पुनः स्थापना का कार्य खरमास के बाद शुरू किया जाएगा।

 

मंदिर का ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व

मंदिर के कपाट खोलने की पहल सनातन रक्षक दल के कार्यकर्ताओं ने की। इस दौरान तनाव की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने मामले में दखल दिया और जांच के बाद स्पष्ट किया कि मंदिर एक सार्वजनिक स्थल है। मंदिर की जमीन पर किसी का मालिकाना हक नहीं है। यह भी सामने आया कि मंदिर से सटे भवन को मुस्लिम परिवार को बेचा गया था, लेकिन मंदिर की संरचना सुरक्षित रही।

 

गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल

मदनपुरा के मुस्लिम समुदाय ने मंदिर के कपाट खुलवाने में सहयोग देकर गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण प्रस्तुत किया। स्थानीय मुसलमानों ने न केवल मंदिर को खुलवाने में सहायता की, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा बनी रहे। सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष ने इस योगदान के लिए मुस्लिम समुदाय का आभार व्यक्त किया।

 

सफाई और जीर्णोद्धार की प्रक्रिया

मंदिर के कपाट खुलने के बाद वहां की स्थिति बेहद दयनीय पाई गई। मंदिर परिसर में लगभग 30 ठेला मलबा निकाला गया। नगर निगम की टीम ने नगर आयुक्त अक्षत वर्मा के निर्देश पर सफाई कार्य पूरा किया। क्षेत्रीय स्वास्थ्य निरीक्षक अवनीश दूबे ने इस कार्य की निगरानी की। अब मंदिर के जीर्णोद्धार और पाषाण शिवलिंग की प्राणप्रतिष्ठा की योजना बनाई जा रही है।

 

मूल शिवलिंग का गायब होना और भविष्य की योजना

मंदिर से मूल पाषाण शिवलिंग के गायब होने का रहस्य अब भी बना हुआ है। हालांकि, सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष ने इस विवाद में न पड़ने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि काशी में स्थान का महत्व है। भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि वह स्थान पर विराजमान रहते हैं। शिवलिंग की स्थापना विधि-विधान के साथ की जाएगी और मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा।

 

सार्वजनिक दृष्टिकोण

इस घटना ने वाराणसी में मंदिरों की सुरक्षा और उनके ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा को जन्म दिया है। स्थानीय समुदायों का आपसी सहयोग और प्रशासन की भूमिका से यह सुनिश्चित हुआ कि धार्मिक और सामाजिक सौहार्द बना रहे। सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का पुनरुद्धार वाराणसी की सांस्कृतिक विरासत को और समृद्ध करेगा।

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