भोपाल को ‘सिटी ऑफ लिटरेचर’ बनाने की तैयारी, यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क में मिलेगा स्थान

भोपाल, जो अपनी समृद्ध साहित्यिक परंपरा और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, अब एक महत्वपूर्ण वैश्विक पहचान प्राप्त करने के लिए तैयार है। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने 2025 में भोपाल को यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क (यूसीसीएन) में ‘सिटी ऑफ लिटरेचर’ के रूप में शामिल कराने के लिए आवेदन तैयार करना शुरू कर दिया है। यह कदम शहर की साहित्यिक महत्वता और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर मान्यता देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
भोपाल ने हमेशा साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया है। यहां के विश्व पुस्तक मेला, साहित्य उत्सव, कवि सम्मेलनों और अन्य साहित्यिक मंचों ने इसे एक साहित्यिक हब बना दिया है। इन कार्यक्रमों में स्थानीय लेखकों, कवियों और साहित्यप्रेमियों की सक्रिय भागीदारी ने इसे ‘सिटी ऑफ लिटरेचर’ के रूप में एक मजबूत दावेदार बना दिया है। भोपाल का यह साहित्यिक माहौल न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे एक साहित्यिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखता है।
यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क की स्थापना 2004 में की गई थी ताकि उन शहरों के बीच सहयोग बढ़ाया जा सके जिन्होंने अपने विकास में रचनात्मकता को प्राथमिकता दी है। यह नेटवर्क सात रचनात्मक क्षेत्रों में कार्य करता है, जिनमें शिल्प और लोक कला, डिजाइन, फिल्म, गैस्ट्रोनॉमी, साहित्य, मीडिया कला और संगीत शामिल हैं। वर्तमान में 350 शहर इस नेटवर्क का हिस्सा हैं, और यह शहर अपनी रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आपस में सहयोग करते हैं।
2023 में ग्वालियर को ‘यूनेस्को क्रिएटिव सिटी ऑफ म्यूजिक’ के रूप में मान्यता मिल चुकी है। इसके बाद अब भोपाल को ‘सिटी ऑफ लिटरेचर’ के रूप में मान्यता प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो राज्य सरकार और पर्यटन विभाग द्वारा किए जा रहे हैं। इस पहल के तहत, मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने इस आवेदन में भोपाल के साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करने का निर्णय लिया है। इसमें शहर की साहित्यिक गतिविधियों, ऐतिहासिक योगदान और भविष्य की योजनाओं का उल्लेख किया जाएगा।
यदि यह आवेदन सफल रहता है, तो भोपाल को वैश्विक स्तर पर एक साहित्यिक केंद्र के रूप में पहचान मिल सकती है, जो न केवल भारतीय साहित्यिक धरोहर को बढ़ावा देगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी उपस्थिति मजबूत करेगा। यह कदम भोपाल को एक और कदम आगे बढ़ाते हुए, विश्वभर में साहित्यिक परंपरा और रचनात्मकता के लिए एक मजबूत पहचान दिला सकता है।