संभल के यमतीर्थ को 1.18 करोड़ में संवारेगी बंधन योजना

ंभल के हल्लू सराय स्थित यमतीर्थ को बंधन योजना के तहत संवारने का कार्य तेज़ी से चल रहा है, जिसकी लागत 1.18 करोड़ रुपये है। इस योजना का उद्देश्य संभल को एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल बनाना है। इसके लिए पहले ही 58 लाख रुपये मिल चुके हैं, और बाकी राशि की व्यवस्था की जा रही है। यमतीर्थ के साथ-साथ संभल के अन्य धार्मिक स्थलों, जैसे कि 68 तीर्थों और 19 कूपों को भी नए स्वरूप में लाने का कार्य शुरू हो चुका है।
संभल में स्थित तीर्थों को चिह्नित कर, उनका पुराना रूप लौटाने की योजना बनाई गई है, जिससे इन स्थानों की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को फिर से उजागर किया जा सके। अब तक 34 तीर्थों को चिह्नित किया जा चुका है, और 19 कूपों को भी चिन्हित कर संवारने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। इस पहल से ना केवल धार्मिक स्थलों का संरक्षण होगा, बल्कि पर्यटकों के आकर्षण को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
संभल का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। पुराणों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने भविष्यवाणी की थी कि कलियुग में भगवान कल्कि यहीं अवतरित होंगे। इसी कारण संभल को एक विशेष स्थान प्राप्त है। इसके अलावा, वंश गोपाल तीर्थ में भगवान कृष्ण के ठहरने की कथा भी इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है। यह स्थान धार्मिक श्रद्धा और आस्था का केंद्र रहा है, और अब इसे और भी विकसित किया जाएगा।
इतिहास और धर्म के साथ जुड़े इस कार्य को लेकर संभल में उत्साह का माहौल है। स्कंद पुराण के अनुसार, कलियुग में भगवान कल्कि का अवतरण यहीं होगा, और इसके लिए संभल को तैयार किया जा रहा है। इस धार्मिक कार्य के साथ-साथ, स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे, और आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन का विकास होगा।
इस परियोजना के तहत नगर पालिका ने संकल्प लिया है कि 68 तीर्थ स्थलों और 19 कूपों को पूरी तरह से संवारकर उनका प्राचीन रूप वापस लाया जाएगा। यह सभी कार्य धार्मिक मान्यता और ऐतिहासिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए किए जा रहे हैं, ताकि यह जगह पहले जैसे धार्मिक महत्व को फिर से प्राप्त कर सके। इन कार्यों के पूरा होने के बाद संभल को एक प्रमुख पर्यटन और तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित किया जाएगा।
इसके अलावा, चंदौसी में बावड़ी की खुदाई का कार्य भी चल रहा है, जिसे पुनः अस्तित्व में लाया जाएगा। बावड़ी के चारों ओर मलबा हटाने का काम शुरू किया गया था, लेकिन सर्दी बढ़ने के कारण काम को कुछ समय के लिए रोक दिया गया। कुछ घंटे तक मलबा हटाने का काम हुआ, और इसके बाद काम को बंद कर दिया गया। इस बावड़ी के पुनर्निर्माण के साथ-साथ अन्य धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल भी संवारे जा रहे हैं।
संभल की यह परियोजना केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह ऐतिहासिक धरोहर को बचाने और उसे फिर से चमकाने का भी एक प्रयास है। इसे सफलतापूर्वक लागू करने से न केवल संभल बल्कि आसपास के क्षेत्रों को भी इसका लाभ मिलेगा। इस तरह की योजनाओं से स्थानीय संस्कृति, धार्मिक विश्वास और पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा, और भविष्य में यह स्थान एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध होगा।