उमरिया में परमिट न मिलने से बसों की आवाजाही बंद, यात्रियों के सामने खड़ी हुई नई चुनौती

उमरिया जिले में न्यायालय के आदेश के कारण बस ऑपरेटरों और यात्रियों के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। उच्चतम न्यायालय और मप्र उच्च न्यायालय के सख्त फैसलों के बाद अस्थाई परमिट पर चलने वाली बसों की सेवाएं जिले में थम गई हैं। इसके परिणामस्वरूप नए साल के पहले दिन से उमरिया सहित अन्य जिलों के बीच बस सेवाएं ठप हो गई हैं। बताया गया है कि कई वर्षों से क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी द्वारा जारी अस्थाई परमिट पर अधिकांश बसें संचालित हो रही थीं, लेकिन अदालत के आदेश के बाद आरटीओ ने इस व्यवस्था को रोक दिया, जिससे बसों का संचालन प्रभावित हो गया।
जिला में बस ऑपरेटरों को स्थाई परमिट प्राप्त करने में समस्या आ रही है, क्योंकि डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का पद दो वर्षों से खाली पड़ा है। यह पद संभागीय मुख्यालय में स्थित होता है, और बिना अधिकारी के स्थाई परमिट जारी करना संभव नहीं है। ऑपरेटरों का कहना है कि जब तक उन्हें स्थाई परमिट नहीं मिलती, तब तक वे बसें नहीं चला सकते हैं, और इस स्थिति में उन्हें कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्चों का भुगतान अपनी जेब से करना पड़ रहा है। इससे बस व्यवसाय के लिए समस्याएं और भी बढ़ गई हैं।
बसों की सेवाएं बंद होने से जिलेभर में यात्री सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है। लोग यात्रा करने में परेशान हैं और ट्रकों और टैक्सियों का सहारा ले रहे हैं। महिलाओं और बुजुर्गों को विशेष रूप से कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जिले की बड़ी आबादी बस सेवाओं पर निर्भर है, खासकर सफर, खरीदारी और व्यापार के लिए। इसके अलावा, नौकरीपेशा नागरिक और स्कूली छात्र भी बसों का इस्तेमाल करते हैं।
इस बीच, जिले के बस ऑपरेटरों ने कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया गया कि न्यायालय के आदेश के बाद बस सेवाओं का बंद होना हजारों लोगों के जीवन-यापन को प्रभावित कर रहा है और यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऑपरेटरों ने कलेक्टर से मांग की है कि बसों को स्थाई परमिट तत्काल जारी किया जाए या फिर कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, ताकि बस सेवाएं बहाल हो सकें।