युवतियों को भा रही हैं पुरानी विरासत की साड़ियां, वर्ल्ड साड़ी डे पर बढ़ी पारंपरिक साड़ियों की मांग

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आज जब आधुनिकता और इंडो-वेस्टर्न फैशन का बोलबाला है, तब भी भारतीय परंपरागत साड़ियों का आकर्षण युवतियों के बीच बना हुआ है। खासकर उत्तर प्रदेश में साड़ी पहनने का रिवाज सदियों पुराना है, और वर्तमान में यह फैशन के साथ कदमताल कर रहा है।

 

परंपरागत साड़ियों की बढ़ती लोकप्रियता

शहर के साड़ी शोरूमों पर इन दिनों सबसे ज्यादा मांग परंपरागत साड़ियों की हो रही है। बनारसी, कांजीवरम, और अन्य पारंपरिक साड़ियां सहालग के दौरान खरीदारों की पहली पसंद बनीं। दुबे के पड़ाव स्थित शोरूम के मालिक प्रेम अरोरा ने बताया कि लड़कियां अपने फोन में पुरानी साड़ियों के डिज़ाइन दिखाकर वैसी ही साड़ियां खरीद रही हैं।

 

बनारसी साड़ियों की धूम

बनारसी साड़ियां, जो भारतीय परंपरा और संस्कृति का प्रतीक हैं, आज भी सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। यह शादी और अन्य खास अवसरों के लिए पहली पसंद बनी हुई हैं। प्रेम अरोरा ने बताया कि बनारसी साड़ी न केवल अपनी खूबसूरत कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली एक परंपरा है।

 

50 हजार तक की साड़ियों की खरीदारी

सहालग के दौरान युवतियों ने ₹50,000 तक की साड़ियां खरीदीं। मैरिस रोड स्थित शोरूम के मालिक संजय अग्रवाल ने बताया कि उच्च गुणवत्ता और बेहतरीन डिज़ाइन के कारण इन महंगी साड़ियों की मांग बढ़ी है।

 

आधुनिकता में परंपरा का संगम

आज की युवतियां जहां आधुनिक फैशन को अपनाती हैं, वहीं परंपरागत साड़ियों के प्रति उनका झुकाव दिखाता है कि परंपरा और आधुनिकता का यह मेल भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन चुका है।

 

साड़ियों का फैशन भले ही बदलता रहे, लेकिन परंपरागत साड़ियां हमेशा से भारतीय महिलाओं की पहली पसंद रही हैं। बनारसी साड़ियों की बढ़ती मांग इस बात का सबूत है कि भारतीय परंपरा और संस्कृति का महत्व आज भी कायम है।

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