मगध विश्वविद्यालय की डिग्री की फर्जी बंटवारे की सनसनी, दो शिक्षकों पर केस दर्ज

बिहार के प्रतिष्ठित मगध विश्वविद्यालय से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों का वितरण किया गया है। यह मामला सिर्फ देश में नहीं, बल्कि विदेश में जाकर फर्जी डिग्री बांटने का है। सोशल मीडिया पर यह सूचना वायरल होने के बाद मगध विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की। इस मामले में विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. उपेंद्र कुमार ने मगध विश्वविद्यालय थाने में बौद्ध अध्ययन विभाग के दो शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई, जब सोशल मीडिया पर म्यांमार के यंगूनगू से एक पीएचडी डिग्री की तस्वीर सामने आई, जिस पर वर्ष 2024 अंकित था, जबकि यह डिग्री तीन साल पहले दी गई थी। डिग्री पर उस समय के कुलपति का हस्ताक्षर था, जो संदेहास्पद था। जब इस मामले पर मगध विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो. शशि प्रताप शाही ने संज्ञान लिया, तो उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए।
जांच के दौरान यह मामला संदिग्ध पाया गया। जांच में पाया गया कि बौद्ध अध्ययन विभाग के अंशकालिक व्याख्याता डॉ. विष्णुशंकर और बोधगया से जुड़े डॉ. कैलाश प्रसाद ने म्यांमार में जाकर फर्जी तरीके से मगध विश्वविद्यालय की डिग्री बांटी थी। इस मामले में आरोप लगाया गया है कि इन शिक्षकों ने बिना उचित प्रक्रिया के विदेशियों को पीएचडी की डिग्री दे दी थी, जिनके पास वीजा भी नहीं था। यह मामला पहले भी सामने आया था, जब कई विदेशी नागरिकों को बिना वीजा के पीएचडी की डिग्री दी गई थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। अब इस नई जांच के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कठोर कदम उठाया है।