अतुल सुभाष और निकिता का झगड़ा: ‘एक हफ्ते तक नहाती नहीं थी…’, सुसाइड से पहले की घटना

सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी और उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया के बीच कई महीनों से विवाद चल रहा था, जिसका मुख्य कारण उनका खाने की आदतों को लेकर झगड़ा था। अतुल और उनका परिवार शाकाहारी थे, जबकि निकिता मांसाहारी थी। इस विवाद के कारण दोनों के बीच तनाव बढ़ता गया था। अतुल ने अपने बयान में कहा था कि निकिता नॉनवेज खाने के बाद हड्डियां कमरे में फेंक देती थी और एक-एक सप्ताह तक नहीं नहाती थी, जिससे घर में असमंजस और झगड़ा बढ़ता था। एक बार जब अतुल की मां ने बीच-बचाव किया, तो निकिता ने उन्हें धक्का दे दिया और उनके साथ मारपीट की। इसके बाद से उनके रिश्ते में और भी ज्यादा खटास आ गई थी।
अतुल सुभाष ने बताया कि शादी से पहले दोनों के बीच सब कुछ ठीक था, लेकिन बंगलूरू में रहते हुए निकिता के परिवार के साथ धन की मांग और घरेलू समस्याएं बढ़ने लगीं। अतुल के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के आरोप भी लगाए गए थे। 2021 में अतुल ने अपनी पत्नी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी। इस विवाद के चलते निकिता के परिवार के सदस्यों ने भी अतुल पर दबाव बनाया था, जिसके कारण तनाव और बढ़ गया था।
अतुल के परिवार में इस समय दुख का माहौल था, जब वह आत्महत्या कर लिया। अतुल ने आत्महत्या से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी, सास, साले और अपने केस की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने अपने वीडियो में बताया था कि उनकी शादी के बाद से ही निकिता के परिवार ने दहेज की मांग की थी और उन्हें प्रताड़ित किया था। इसके बावजूद उन्होंने निकिता को बंगलूरू ले जाकर नया जीवन शुरू किया, लेकिन वहां भी उनका उत्पीड़न जारी रहा।
अतुल ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें उन्होंने अपनी मानसिक स्थिति और परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए उत्पीड़न की शिकायत की थी। इसके बाद, निकिता सिंघानिया ने अतुल के खिलाफ भरण पोषण की मांग की थी, और अदालत में दो लाख रुपये प्रति माह की रकम की मांग की थी, जबकि अतुल का वेतन 40 लाख रुपये था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि अतुल को अपने बेटे के लिए हर महीने 40 हजार रुपये देना होगा, जो कि अतुल ने किया भी। हालांकि, यह मामला अदालत में लंबित था और 12 दिसंबर 2024 को सुनवाई होनी थी।
इस बीच, कर्नाटक पुलिस ने अतुल की आत्महत्या मामले की जांच शुरू की और बंगलूरू से जौनपुर पहुंची। पुलिस ने निकिता के परिवार के सदस्यों के खिलाफ नोटिस जारी किया और तीन दिन में पेश होने का आदेश दिया। आरोपियों के घर पर पुलिस ने नोटिस चस्पा किया और इन मामलों की जांच में मदद के लिए अदालत से संबंधित दस्तावेज भी एकत्र किए। निकिता और उसके परिवार के सदस्य मामले की जांच से बचने के लिए फरार हो गए थे।
यह मामला एक गंभीर घरेलू विवाद का परिणाम था, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के जीवन की समाप्ति का कारण बना। पुलिस और अदालत अब इस मामले की गहरी जांच कर रही है, और इसने सामाजिक और कानूनी पहलुओं पर भी सवाल उठाए हैं।