बरेली में रैन बसेरे की बदहाली, अफसरों के दावे खोखले, खुले आसमान के नीचे रात बिता रहे लोग

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बरेली में सर्दी का सितम शुरू होते ही जरूरतमंदों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सर्द हवाओं और कड़ाके की ठंड ने लोगों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। रात्रि में तापमान गिरकर आठ डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जिससे ठंड से बचने के लिए लोग ठिठुरते हुए फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं। रैन बसेरे, जो इस समय शरण का स्थान बन सकते थे, उनकी हालत भी दयनीय है। अधिकारियों के तमाम दावों के बावजूद ये रैन बसेरे खाली पड़े हुए हैं, जबकि लोग खुले में सोने के लिए विवश हैं।सोमवार रात करीब 11:15 बजे, बरेली के व्यस्ततम सेटेलाइट बस अड्डा परिसर में कई लोग खुले में सोते हुए पाए गए। यही हाल अन्य स्थानों पर भी था, जैसे डीएम आवास के पास और रेलवे स्टेशन के बाहर, जहां लोग कंबल के सहारे रात गुजार रहे थे। डीएम आवास के पास भी एक व्यक्ति बाउंड्रीवॉल के सहारे ठंड से बचने की कोशिश कर रहा था, और स्टेशन के पास स्थित फुटपाथ पर भी कई लोग ठिठुरते हुए सोने को मजबूर थे। नगर निगम मार्केट में भी करीब 12:14 बजे 10 से अधिक लोग कंबल के सहारे ठंड में लेटे मिले।

यह स्थिति तब है, जब प्रशासन और सरकारी अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति को खुले में सोने नहीं दिया जाएगा और रैन बसेरों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। लेकिन सच्चाई यह है कि इन लोगों को रैन बसेरों तक पहुंचाने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। इस कारण कई लोग ठंड में ठिठुरते हुए अपनी रातें सड़क पर ही बिताने को मजबूर हैं।इस स्थिति को देखते हुए, बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने सभी थानेदारों और यूपी 112 स्टाफ को ठंड से परेशान लोगों की मदद के निर्देश दिए हैं। एसएसपी ने स्पष्ट रूप से आदेश दिए हैं कि अगर कहीं भी ठंड से तड़पते हुए लोग दिखें, तो पुलिस अपनी गाड़ियों से उन्हें नजदीकी रैन बसेरों तक पहुंचाएगी। इसके अलावा, अगर जरूरत पड़ी तो कपड़े आदि की व्यवस्था भी की जाएगी। यूपी 112 स्टाफ की ड्यूटी तय कर दी गई है, ताकि किसी भी जरूरतमंद को ठंड से बचाने के लिए त्वरित कदम उठाए जा सकें।हालांकि प्रशासन ने रैन बसेरों की व्यवस्था की है, लेकिन इनकी देखभाल और निगरानी की जिम्मेदारी भी अलग-अलग क्षेत्रों में तैनात कर्मियों को दी गई है। फिर भी, खुले में सो रहे लोगों की हालत को देखकर यह साफ है कि प्रशासन को रैन बसेरों तक पहुंचने के रास्ते की व्यवस्था और निगरानी में और सुधार करने की आवश्यकता है।

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