बिहार के धार्मिक सर्किट पर नई किताब का लोकार्पण, शिव और शक्ति सर्किट की दिलचस्प जानकारी

सीआरडी द्वारा आयोजित पटना पुस्तक मेला इस बार पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय रहा है। मेला सुबह से ही भीड़ से भर जाता है, और रविवार को यहां कविता, कहानी और संवाद सत्रों का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। इस दौरान मुख्य मंच पर “बिहार की वैभवशाली विरासत” पुस्तक का लोकार्पण किया गया, जो लेखक शंभुशरण सिंह द्वारा लिखी गई है। वरिष्ठ पत्रकार अवधेश प्रीत ने इस पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह बिहार को सही ढंग से समझने में मदद करती है और इसमें बिहार के इतिहास की झलक को दर्शाया गया है। यह पुस्तक बिहार के इतिहास और संस्कृति के सफर को दर्शाती है, जो विहार से बिहार तक विस्तारित है।
पुस्तक विमोचन समारोह में बिहार विरासत विकास समिति के पूर्व निदेशक विजय कुमार चौधरी ने पुस्तक में बिहार की विरासतों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एन.के. झा ने कहा कि बिहार का इतिहास भारतीय इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। वर्धा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संदीप कुमार वर्मा ने भी शंभु शरण सिंह के प्रयासों को सराहा, खासकर प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए पुस्तक के महत्व पर जोर दिया।
लेखक शंभु शरण सिंह ने कहा कि पर्यटन से न केवल हम एक स्थान को देखते हैं, बल्कि वहां के इतिहास, संस्कृति, खान-पान और रहन-सहन से भी परिचित होते हैं। इस पुस्तक में बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों का समेकित विवरण दिया गया है, जिसमें हिन्दू, सूफी, बौद्ध, जैन, ईसाई, हेरिटेज और गांधी सर्किट से जुड़े स्थल शामिल हैं। इस पुस्तक में शिव-शक्ति सर्किट जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी वर्णित हैं, जैसे बाबा कोटेश्वर मंदिर, महेंद्रनाथ, पटनदेवी मंदिर, मुंडेश्वरी धाम आदि। यह पुस्तक पर्यटकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों और सामान्य जनों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगी।