आर्थिक जनगणना में ठेला लगाने वालों का होगा अहम योगदान, नए साल से प्रक्रिया शुरू

जनवरी 2025 से भारत में आर्थिक जनगणना की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है, जो दस साल बाद होने वाली है। इस बार की जनगणना में लोगों की आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिए 52 अलग-अलग कैटेगरी तैयार की गई हैं। इनमें ठेला लगाने वालों को भी उद्यम लगाने वालों की श्रेणी में शामिल किया गया है। हालांकि, इन कैटेगरी में संशोधन की संभावना भी बनी हुई है।
जनगणना को लेकर एक बैठक दिसंबर में होगी, जिसमें इन कैटेगरी पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इस बैठक में खेती-किसानी करने वालों, निजी कंपनियों में काम करने वाले और सरकारी कर्मचारियों से जुड़े डेटा पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा, एक लाख रुपये महीने तक कमाने वालों से लेकर 50 करोड़ रुपये तक की आमदनी वाले लोगों का भी डेटा संकलित किया जाएगा।
इस जनगणना में परिवार की जानकारी भरते समय 22 कॉलम होंगे, जिनमें विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही, दुकानें, फैक्टरी और सड़क किनारे ठेले लगाने वालों को भी इस गणना में शामिल किया जाएगा। डीएसटीओ संतोष कुमार सिंह ने बताया कि सातवीं आर्थिक जनगणना के दौरान विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए व्यापक गतिविधि कोड (A से लेकर S तक) तैयार किए गए हैं। इनमें खेती, उत्पादन, बिजली, वेस्ट मैनेजमेंट, निर्माण, थोक बाजार, ट्रांसपोर्ट, भंडारण और खाद्य क्षेत्र के अलावा, इंश्योरेंस, रियल एस्टेट, शिक्षा, मानव स्वास्थ्य और नौकरी क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा।
स्वामित्व क्षेत्र में सरकारी नौकरी, प्रॉपर्टी, कंपनी और स्वयं सहायता समूहों को शामिल किया जाएगा, जबकि पंजीकरण और गैर-पंजीकरण संस्थाओं का भी डेटा लिया जाएगा।