दमोह में साइबर ठगी की कोशिश नाकाम, लैब टेक्नीशियन को डिजिटल जाल से बचाया

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मध्य प्रदेश के दमोह जिले में डिजिटल अरेस्ट के पहले मामले ने एक बड़ी ठगी को होने से बचा लिया। यह घटना शनिवार सुबह हुई, जब जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में कार्यरत लैब टेक्नीशियन *अनुपम खरे* को ठगों ने अपने जाल में फंसा लिया। हालांकि, साइबर सेल टीम की त्वरित कार्रवाई से न केवल ठगी रोकी गई, बल्कि दो लाख रुपये की राशि भी बचाई जा सकी।

 

कैसे हुआ डिजिटल अरेस्ट?

सुबह करीब 8:30 बजे अनुपम खरे को एक कॉल आया, जिसमें उसे बताया गया कि उसकी सिम जल्द बंद होने वाली है और उसके खिलाफ 17 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें पॉर्न वीडियो और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। ठगों ने अपने आपको मुंबई तिलक नगर पुलिस स्टेशन से बताया और वीडियो कॉल के जरिए नकली पुलिस स्टेशन का दृश्य भी दिखाया।

 

डर और ठगी का माहौल

वीडियो कॉल पर ठगों ने दावा किया कि अनुपम खरे के नाम पर एक क्रेडिट कार्ड और आधार कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन किए गए हैं। इस मामले को सुलझाने के लिए ठगों ने दो लाख रुपये मांगे। डर और घबराहट में अनुपम पैसे ट्रांसफर करने की तैयारी में थे, तभी साइबर सेल की टीम ने मौके पर पहुंचकर उन्हें बचा लिया।

 

साइबर सेल की तत्परता

साइबर सेल प्रभारी अमित गौतम ने बताया कि उन्हें अनुपम के सहकर्मी अमित अठ्या से इस घटना की जानकारी मिली। अमित को पहले से डिजिटल अरेस्ट जैसी ठगी के मामलों की जानकारी दी गई थी। एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी के निर्देश पर पांच मिनट में साइबर टीम वैशाली नगर स्थित अनुपम के घर पहुंच गई। टीम ने खिड़की से बात कर अनुपम को भरोसा दिलाया कि यह एक ठगी है।

 

लोगों के लिए संदेश

इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि ठग नई-नई तकनीकों का उपयोग कर लोगों को डराकर ठगी करने की कोशिश कर रहे हैं। साइबर सेल ने आम जनता को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश पर तुरंत पुलिस से संपर्क करने की सलाह दी है।

 

साइबर अपराधों के खिलाफ अभियान

साइबर सेल द्वारा इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए पंपलेट और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे किसी भी अज्ञात कॉल पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें और सतर्क रहें।

 

दमोह की इस घटना ने दिखा दिया कि जागरूकता और त्वरित कार्रवाई से बड़े साइबर अपराधों को रोका जा सकता है।

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