बुरहानपुर: अजमेर दरगाह और संभल मामले में AIMIM ने उठाई आवाज, सरकार से की अपील

जामा मस्जिद और अजमेर शरीफ विवाद
उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद और राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर विवादों ने नया मोड़ ले लिया है। इन विवादों पर एआईएमआईएम (AIMIM) और बसपा (BSP) ने कड़ा रुख अपनाते हुए भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का पालन सुनिश्चित करने और इन मामलों की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की है।
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का प्रावधान
एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष एवं एडवोकेट जहीर उद्दीन ने बताया कि यह अधिनियम स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 को धार्मिक स्थलों का जो भी चरित्र था, उसे चुनौती नहीं दी जा सकती। बाबरी मस्जिद को छोड़कर किसी अन्य धार्मिक स्थल पर विवादित दावे करने या अदालतों में याचिकाएं दायर करने पर प्रतिबंध है।
मौजूदा स्थिति पर सवाल
जहीर उद्दीन ने कहा कि अधिनियम के बावजूद, कई अदालतें इन मामलों की सुनवाई कर रही हैं और धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण के आदेश जारी कर रही हैं। इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है और देश के भाईचारे को खतरा पैदा हो रहा है।
ज्ञापन सौंपने की कार्रवाई
AIMIM और बसपा के प्रतिनिधियों ने संयुक्त कलेक्टर अशोक कुमार जाधव को ज्ञापन सौंपा, जिसमें अदालतों में चल रही कार्यवाही को असंवैधानिक बताया गया। प्रतिनिधियों ने मांग की कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
संभल और अजमेर की घटनाएं
– संभल की जामा मस्जिद विवाद: AIMIM ने प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया और इसे सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाला कदम बताया।
– अजमेर शरीफ दरगाह विवाद: दरगाह के सर्वेक्षण की मांग पर AIMIM और बसपा ने आपत्ति जताई और इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला प्रयास बताया।
सांप्रदायिक सौहार्द पर असर
एआईएमआईएम ने चेतावनी दी कि अगर इन मामलों पर रोक नहीं लगाई गई, तो देश में सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे को गंभीर क्षति हो सकती है। उन्होंने ऐसे प्रयासों को देश की एकता और शांति के खिलाफ बताया और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
आवश्यकता: कानून का पालन और सख्त कार्रवाई
AIMIM और बसपा ने मांग की है कि कानून का सख्ती से पालन हो और धार्मिक स्थलों को विवादों से बचाया जाए। इससे न केवल समाज में शांति बनी रहेगी, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द भी मजबूत होगा।