संभल हिंसा पर न्यायिक आयोग की टीम का निरीक्षण, पुलिस बल ने किया सख्त प्रबंधन

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संभल में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के विवाद के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए सरकार ने न्यायिक आयोग की तीन सदस्यीय टीम का गठन किया। यह टीम 29 नवंबर को संभल पहुंची और हिंसा की शुरुआत वाले स्थानों से अपनी जांच शुरू की। जांच टीम में रिटायर्ड जज डीके अरोड़ा, रिटायर्ड आईएएस अमित मोहन प्रसाद, और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी एके जैन शामिल हैं। टीम के साथ पुलिस सुरक्षा के तहत भारी पुलिस बल था।

टीम ने पहले कोतवाली पहुंचकर अधिकारियों से जानकारी ली, और फिर उन स्थानों का दौरा किया जहां पथराव और आगजनी की घटनाएं हुई थीं। इनमें वाहनों को आग लगाने और पत्थर फेंकने के स्थल शामिल थे। इसके बाद टीम ने जामा मस्जिद का भी दौरा किया, जहां उन्होंने मस्जिद कमेटी के सदर और अन्य सदस्यों से जानकारी प्राप्त की।

19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन के पास हरिहर मंदिर के अस्तित्व का दावा प्रस्तुत किया गया था, जिसके बाद मस्जिद का सर्वे किया गया। 24 नवंबर को दूसरे चरण के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव किया और वाहनों में आग लगा दी थी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी। सर्वे रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में प्रस्तुत होनी थी, लेकिन एडवोकेट कमिश्नर ने इसे दस दिन के लिए टाल दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सुनवाई निचली अदालत में नहीं होगी, और सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट भेजी जाएगी।

न्यायिक आयोग की टीम ने अपनी जांच के दौरान इन घटनाओं के प्रमुख स्थानों का दौरा किया, जिसमें हिंदू पूरा खेड़ा भी शामिल था, जहां महिलाओं द्वारा पथराव करने की घटना हुई थी। इस जांच से हिंसा की असल वजहों और घटनाओं के तथ्यों को उजागर करने की उम्मीद जताई जा रही है

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