Bihar News: “स्नातक कोटे से कौन बनेगा विधायक? 18 प्रत्याशियों ने भरा पर्चा, 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में”

MLC Election 2024 : तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव के लिए नामांकन का दौर समाप्त हो गया है और कल शाम तक इस क्षेत्र से कुल 18 प्रत्याशियों ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया है। इसी बीच राजेश रोशन नामक प्रत्याशी की चुनाव प्रचार में जाने से पहले ही मौत हो गई। इस क्षेत्र से दो महिला प्रत्याशी भी उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए ताल ठोक रही है, जहां तक इस क्षेत्र का सवाल है पिछले लगभग चार दशकों में दो प्रत्याशियों ने ही अपना कब्जा जमा रखा था। जिसमें निवर्तमान विधान परिषद सदस्य देवेश चंद्र ठाकुर और पूर्व विधान परिषद सदस्य रामकुमार सिंह शामिल हैं। अब मौजूदा चुनाव में जहां देवेश चन्द्र ठाकुर के भांजे अभिषेक झा एनडीए गठबंधन के समर्थित प्रत्याशी के रूप में जदयू से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा वहीं पूर्व विधान परिषद सदस्य रामकुमार सिंह के पुत्र डॉ विनायक गौतम भी अब पहली बार राजनीति में कदम रखते हुए जन सुराज के प्रत्याशी के रूप में चुनाव क्षेत्र में है।
राजद से गोपी किशन है, जबकि अन्य प्रत्याशियों में प्रणय कुमार, बंशीधर बृजवासी, प्रमुख चेहरा होंगे। वहीं जदयू से बागी बने पूर्व महानगर अरविंद कुमार विभात, भाजपा नेता रहे मनोज कुमार वत्स भी चुनावीरण में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यह पहला मौका है जब तिरहुत स्नातक उपचुनाव में रिंकू कुमारी और संजना भारती नाम की दो महिला उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं, जबकि वही एक मुस्लिम उम्मीदवार एहतेशामुल हसन रहमानी ने भी अब अपनी दावेदारी रखी है। कुल मिलाकर देखें तो इस चुनाव के लिए इस क्षेत्र के लिए तो शिक्षक डॉक्टर प्रोफेसर इंजीनियर के साथ-साथ व्यवसायी के साथ साथ आयुष चिकित्सक भी जन प्रतिनिधित्व के लिए मैदान में खड़े हैं।
हालांकि यह चुनाव पिछले कुछ दशकों में व्यक्ति प्रधान हो कर रह गया है। अगर दो दशक की बात करें तो देवेश चंद्र ठाकुर का चेहरा दलों का मोहताज नहीं रहा। उन्होंने दलीय सिंबल के साथ-साथ में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी इस क्षेत्र से चुनाव जीतकर के अपनी महता साबित की। वहीं उनसे पहले पूर्व मंत्री बिहार सरकार और स्थानीय कद्दावर स्वर्गीय रघुनाथ पांडे के दामाद रामकुमार सिंह ने लगातार तीन बार तिरहुत स्नातक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। ऐसा कहा जाता है कि तब स्वर्गीय पांडे का कद और दबदबा इनकी जीत का प्रमुख कारण हुआ करता था। जैसे ही घर में पारिवारिक कलह उजागर हुए रामकुमार सिंह चुनावी रण में भी निरंतर पिछड़ते चले गए। शिक्षक नेता के रूप में प्रणय कुमार ने भी इस क्षेत्र से अपार मत हासिल किया था। वह नजदीकी मुकाबले में देवेश चन्द्र ठाकुर से पिछड़ गए अन्यथा चुनाव का परिणाम बदल सकता था। अब जहां तक उप चुनाव का सवाल है इस क्षेत्र से नए प्रत्याशी का निर्वाचित होना तय है क्योंकि इस बार चुनावी रण में कोई भी प्रत्याशी ऐसा नहीं है जिसने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। जिस तरह से प्रशासन और चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की ओर से स्नातक मतदाताओं को जागरुक कर मतदाता सूची में जोड़ा गया है।अब यह चुनाव भी रोचक हो गया है।
वैसे भी पर्दे के पीछे हो या सामने से निवर्तमान विधान परिषद सदस्य सह संसद सदस्य देवेश चंद्र ठाकुर ने अपने भांजे अभिषेक झा के लिए दलबल के साथ प्रचार अभियान में शामिल होंगे। वहीं डॉ विनायक गौतम के रूप में अब प्रशांत किशोर के साथ-साथ पूर्व विधान पार्षद रामकुमार सिंह के लिए भी यह चुनाव अग्नि परीक्षा के रूप में होगी, जबकि शिक्षक नेता प्रणय कुमार और बंशीधर बृजवासी को लेकर मतदाता दुविधा में हैं।