झारखंड प्रशासन में तनाव, एसपी ने अधिकारियों के पत्रों पर की चुप्पी साधने की कोशिश

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झारखंड में पुलिस मुख्यालय और जिला पुलिस अधिकारियों के बीच एक गंभीर रिपोर्टिंग मुद्दा उभर कर सामने आया है, जहां कई जिलों के एसपी (सुपरीटेंडेंट ऑफ पुलिस) पुलिस मुख्यालय की निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। पुलिस मुख्यालय द्वारा समय-समय पर रिपोर्ट मंगाई जा रही है, लेकिन एसपी द्वारा उन रिपोर्टों को निर्धारित समय पर नहीं भेजा जा रहा है। इसका असर यह हो रहा है कि पुलिस मुख्यालय को मामलों की जानकारी समय पर नहीं मिल पा रही है, और न ही इन मामलों की समीक्षा की जा रही है।

 

हाल ही में, झारखंड उच्च न्यायालय से लंबित वारंट, कुर्की और इश्तेहार से संबंधित जानकारी के लिए पुलिस मुख्यालय को निर्देश दिए गए थे। इसके बाद, पुलिस मुख्यालय ने नौ अक्टूबर 2024 को सभी जिलों के एसपी से रिपोर्ट मांगी, लेकिन निर्धारित समय सीमा, 18 अक्टूबर तक, रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई। इसके बाद मुख्यालय ने पुनः 18 अक्टूबर को पत्र भेजकर 22 अक्टूबर तक रिपोर्ट भेजने का अनुरोध किया, लेकिन फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इसके बाद, 23 अक्टूबर को पुलिस मुख्यालय ने एक और रिमाइंडर भेजा, फिर भी रिपोर्ट नहीं आई, और अंत में पुलिस मुख्यालय ने खेद प्रकट किया।

 

इसी प्रकार, प्रशिक्षण निदेशालय द्वारा भी एसपीसी कार्यक्रम से संबंधित रिपोर्ट मांगी गई, लेकिन कई जिलों के एसपी द्वारा 14 नवंबर तक रिपोर्ट नहीं भेजी गई। इसके चलते फिर से 14 नवंबर को पत्र भेजकर खेद प्रकट किया गया। इस स्थिति से यह स्पष्ट हो रहा है कि कई जिलों के एसपी की लापरवाही और समय पर रिपोर्ट न भेजने की आदत, पुलिस मुख्यालय की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रही है, जो एक गंभीर प्रशासनिक चुनौती बन चुकी है।

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