महाबोधि मंदिर में दरारें, वर्ल्ड हेरिटेज साइट की संरचना खतरे में

महाबोधि मंदिर की हालत पर चिंता, शीघ्र मरम्मत की जरूरत
महाबोधि मंदिर, जो बौद्ध धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, अब अपनी संरचना को लेकर गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। मंदिर की दीवारों में दरारें आ रही हैं, प्लास्टर गिर रहा है और लोहे की सरिया भी दिखाई देने लगी है। यह स्थिति न सिर्फ मंदिर की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भी चिंता का कारण बन चुकी है।महाबोधि मंदिर भारत के सबसे पवित्र बौद्ध स्थलों में एक है और यह 2002 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। यह वह जगह है, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। मंदिर की वर्तमान स्थिति इस ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। मंदिर प्रबंधकारिणी समिति (बीटीएमसी) की सचिव डॉ. महाश्वेता महारथी ने खुद इस बात को स्वीकार किया है कि मंदिर की दीवारों में दरारें आ रही हैं और प्लास्टर गिर रहा है, जो चिंता का विषय है।
2014 में, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को एक प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें मंदिर की रेलिंग को फिर से पत्थर से बनाने का सुझाव दिया गया था, लेकिन यह काम अब तक लंबित है। बीटीएमसी के पास मंदिर की संरचना की मरम्मत के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही विशेषज्ञता। इस प्रकार के कार्य आमतौर पर पुरातत्व विभाग द्वारा किए जाते हैं, लेकिन अब तक विभाग ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।महाबोधि मंदिर के पूर्व मुख्य पुजारी भंते सत्यानंद ने प्रबंधकारिणी समिति पर आरोप लगाया है कि वे इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। उनका कहना है कि पहले भी मंदिर में दरारें आई थीं, लेकिन केवल सतही मरम्मत की गई। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अब भी शीघ्र कार्रवाई नहीं की जाती, तो मंदिर को गंभीर नुकसान हो सकता है।
मंदिर की संरचना में आ रही समस्याओं के बारे में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सूचित किया जा चुका है। चूंकि बीटीएमसी के अध्यक्ष जिला अधिकारी (डीएम) होते हैं, इसलिए प्रशासन को अब इस मुद्दे पर जल्दी कदम उठाना चाहिए।विशेषज्ञों का मानना है कि ऐतिहासिक स्थलों की संरचना समय के साथ कमजोर हो जाती है और उनकी नियमित देखभाल जरूरी है। इसके लिए :विशेषज्ञ मरम्मत: पुरातत्व विभाग को जल्दी से इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।
दीर्घकालिक उपाय: अस्थायी समाधानों के बजाय पारंपरिक और स्थायी तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि मंदिर की संरचना को सही तरीके से मजबूती मिल सके।
महाबोधि मंदिर की सुरक्षा अब सवालों के घेरे में है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो मंदिर को गंभीर नुकसान हो सकता है। सरकार और संबंधित विभागों को इस मुद्दे को तत्काल सुलझाने के लिए कदम उठाने चाहिए।