RTE में गिरावट: स्कूल मैपिंग के बावजूद जनपद में कम हुई सीटें, प्रदेश में हुआ इजाफा

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शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम का उद्देश्य शिक्षा को सभी वर्गों के लिए सुलभ बनाना है, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित समुदायों के बच्चों को, जो निजी स्कूलों में प्रवेश पाने में सक्षम नहीं होते। इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 25% सीटें इन बच्चों के लिए आरक्षित हैं, लेकिन हालिया घटनाक्रम इस प्रावधान की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सत्र 2022-23 में आरटीई के तहत 18,029 सीटें उपलब्ध थीं, जो 2023-24 में घटकर 16,516 हो गईं। अब नए सत्र में यह संख्या 16,000 से भी कम हो गई है।

 

एनसीआर पैरेंट्स एसोसिएशन के संस्थापक सुखपाल सिंह तूर ने आरोप लगाया है कि कई नामी निजी स्कूल आरटीई के प्रावधानों का पालन करने से बचने के लिए जानबूझकर सीटों की वास्तविक जानकारी को छिपा रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग भी इस कृत्य में परोक्ष रूप से स्कूलों का साथ दे रहा है, जिससे जरूरतमंद बच्चों को नुकसान हो रहा है। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब निजी स्कूल मैपिंग के बावजूद अपनी सीटों की सही जानकारी पोर्टल पर अपलोड नहीं करते। सुखपाल सिंह तूर के मुताबिक, यह दिखाता है कि स्कूल और शिक्षा विभाग पारदर्शिता और जवाबदेही से दूर हैं।

 

शिक्षा विभाग ने इस मुद्दे पर सफाई दी है कि पोर्टल पर उन्हीं स्कूलों को शामिल किया गया है जो प्री-प्राइमरी और कक्षा 1 में दाखिला देते हैं। कक्षा 6 से 12 तक संचालित होने वाले स्कूलों को पोर्टल से हटा दिया गया है। इसके अलावा, कुछ स्कूल जो अल्पसंख्यक दर्जा रखते हैं, आरटीई के तहत दाखिला देने के लिए बाध्य नहीं हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह स्थिति शिक्षा विभाग की कमियों को उजागर करती है। विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर स्कूल अपनी सीटों की जानकारी सार्वजनिक करे और दाखिले के लिए पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए।

 

इस मुद्दे के समाधान के लिए स्कूलों की सीटों की पारदर्शी मैपिंग, पोर्टल की सख्त निगरानी, और आरटीई अधिनियम के नियमों का सख्ती से पालन करना आवश्यक है। इसके अलावा, शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी स्कूल को अपनी जिम्मेदारियों से बचने का मौका न मिले। जरूरतमंद बच्चों के लिए यह योजना उनके उज्जवल भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यदि इन बच्चों को समय पर उचित शिक्षा नहीं मिली, तो समाज में असमानता और बढ़ेगी। आरटीई अधिनियम का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब शिक्षा विभाग, निजी स्कूल और अन्य संबंधित पक्ष पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ इस दिशा में कार्य करें।

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