पटना हाई कोर्ट ने नीतीश सरकार पर किया हमला, शराबबंदी कानून के पालन में विफलता की कड़ी आलोचना

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पटना हाईकोर्ट ने बिहार में लागू शराबबंदी कानून पर गंभीर सवाल उठाए हैं और इसके नकारात्मक प्रभावों को उजागर किया है। जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शराबबंदी कानून ने राज्य में कई नई समस्याओं को जन्म दिया है। कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 का हवाला देते हुए कहा कि राज्य का कर्तव्य है कि वह नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाए और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार लाए, लेकिन शराबबंदी के नाम पर लागू कानून ने इस उद्देश्य को पूरा करने की बजाय कई विकृतियाँ उत्पन्न की हैं।

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि शराबबंदी ने शराब और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं के अवैध व्यापार को बढ़ावा दिया है। इसके चलते तस्करी के नए रास्ते खुल गए हैं और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को धोखा देने के लिए नये तरीके विकसित किए गए हैं। इससे तस्करी में आसानी हुई है और इसे रोकने वाली संस्थाओं को भी कमजोर किया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि शराबबंदी के समर्थन में कानून लागू करने वाली एजेंसियां, जैसे पुलिस, उत्पाद शुल्क अधिकारी, राज्य कर विभाग और परिवहन विभाग के अधिकारी, खुद इस कानून का पालन करने से अधिक अपनी आर्थिक हितों को बढ़ावा देने में व्यस्त हैं।

अंत में, हाईकोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि शराबबंदी कानून के खिलाफ कार्य करने वालों के खिलाफ कार्रवाई बहुत कम होती है। खासकर, गरीब और दिहाड़ी मजदूरों पर इसका दवाब अधिक है, क्योंकि उनका जीवन इस प्रतिबंध से प्रभावित हुआ है। गरीबों को अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए शराब जैसे अवैध कारोबार में लिप्त होना पड़ता है, और उन्हें अक्सर कानून का शिकार बनना पड़ता है।

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