भोपाल: मशहूर साहित्यकार जिया फारूखी का निधन, बड़ा बाग कब्रिस्तान में दी गई अंतिम विदाई

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जिया फारूखी के निधन ने साहित्यिक दुनिया को गहरे शोक में डुबो दिया है। उनका व्यक्तित्व केवल एक शायर और साहित्यकार के तौर पर नहीं, बल्कि एक इंसान के रूप में भी बेहद प्रेरणादायक था। उनकी ज़िन्दगी में साहित्य और संस्कृति के प्रति समर्पण ने उन्हें न सिर्फ उनके समकालीनों में, बल्कि आने वाली पीढ़ियों में भी एक अमिट छाप छोड़ी है।

 

जिया फारूखी की सक्रियता और ऊर्जा उन लोगों के लिए मिसाल बनी जो साहित्य और कला के क्षेत्र में कुछ अलग करने की सोच रखते थे। उनकी शेरो-शायरी और साहित्यिक योगदान ने उन्हें समकालीन साहित्यकारों के बीच एक विशिष्ट स्थान दिलवाया था। वे हर साहित्यिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक आयोजन का हिस्सा बनते थे, जिससे यह पता चलता है कि उनका दिल सिर्फ शायरी के लिए नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए भी धड़कता था।

 

उनकी अचानक मौत के बाद, जब साहित्यिक और सांस्कृतिक समुदाय ने शोक व्यक्त किया, तो यह प्रतीत हुआ कि उनके बिना साहित्य की दुनिया कुछ खाली सी हो गई है। उनके निधन से न केवल साहित्यिक समुदाय को बल्कि समाज को भी एक गहरी क्षति हुई है।

 

उनकी विदाई से पहले, उनके साथ बिताए गए पल और विचारशील संवाद लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे। उनकी शायरी और उनकी सोच ने हमेशा समाज में एक सकारात्मक प्रभाव डाला। जिया फारूखी न केवल शायरी के क्षेत्र में एक चमकते सितारे थे, बल्कि उनके अंदर एक ऐसा व्यक्ति था जो हर मंच पर अपने अनुभव और ज्ञान को साझा करने में विश्वास रखता था।

 

उनकी यादें और उनके विचार हमेशा उनके चाहने वालों के साथ रहेंगे और उनकी विरासत को आगे बढ़ाएंगे। उनके निधन के बाद भी उनके योगदान को याद किया जाएगा, और उनकी शायरी और साहित्यिक कार्यों को सदीों तक सराहा जाएगा।

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