बिहार में छठ पूजा के समय डूबने से 61 की मौत, लापरवाहियों से बढ़ी दुर्घटनाएं

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बिहार में छठ पूजा के दौरान पिछले दो दिनों में तालाब, पोखर और नदियों में डूबने से 61 लोगों की दुखद मौत हो गई है। यह हादसा मुख्य रूप से कोसी, सीमांचल, और पूर्व बिहार के इलाकों में हुआ, जहां 29 लोग डूबकर मौत के शिकार हुए। सहरसा, मधेपुरा, लखीसराय, मुंगेर, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, खगड़िया और भागलपुर में लोग डूबे। इसके अलावा, उत्तर बिहार में भी 13 लोगों की जान गई, जिसमें मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा और अन्य जिलों के लोग शामिल हैं।

इन हादसों में लापरवाही और असावधानी के कई उदाहरण सामने आए हैं, जिनसे हमें सबक लेना चाहिए। सारण जिले के तरैया में छठ घाट पर बच्चों द्वारा नाव पर सेल्फी लेने के दौरान आठ बच्चे नदी में गिर गए, जिनमें से दो की मौत हो गई। हादसे के बाद, एंबुलेंस न मिलने पर स्थानीय लोगों ने पुलिस पर पथराव किया और हंगामा किया। इसी तरह, केसरिया के सतरघाट पर एक युवती ने फोटो खींचने के लिए गंडक नदी के किनारे खड़ा होकर संतुलन खो दिया और डूब गई। उसे बचाने के लिए उसका भाई भी नदी में कूदा, लेकिन वह भी डूब गया।

आरा के सहार में भी पांच बच्चे सोन नदी में नहाने गए, जिसमें से दो की मौत हो गई और एक अभी भी लापता है। यह हादसा इस कारण हुआ क्योंकि बच्चों ने घरवालों की मना करने के बावजूद नदी में जाने का फैसला किया। इन घटनाओं से यह साफ हो गया कि लापरवाही और असावधानी के कारण जानों की हानि हो रही है, और हमें इससे सबक लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

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