बिहार में छठ महापर्व की धूम, लाखों श्रद्धालुओं ने दिया उदीयमान सूर्य को अर्घ्य

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लोक आस्था का महापर्व छठ आज श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न हुआ। चार दिवसीय इस पर्व के अंतिम दिन श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया, जिससे व्रतियों का 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास समाप्त हो गया। इस पर्व का महत्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में देखने को मिलता है, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में नदी, तालाब, और अन्य जलाशयों के किनारे एकत्रित होकर पूजा करते हैं। बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, पूर्णिया, बेगूसराय और खगड़िया समेत सभी 38 जिलों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

पटना में जिला प्रशासन ने विशेष तैयारी की थी। सड़कों को धोया गया था, और गलियों में प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के छठ गीतों की गूंज रही। भक्तों ने घरों की छतों, तालाबों, और नदी किनारे छठ मैय्या की पूजा की। छठ घाटों पर “छठी मैय्या” के जयकारों से माहौल भक्तिमय हो गया। जिला प्रशासन की ओर से घाटों पर साफ-सफाई, सुरक्षा और अन्य इंतजाम पहले से ही किए गए थे, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।

इस महापर्व की अनोखी बात यह है कि भक्त 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं, जो बेहद कठिन माना जाता है। इस पर्व में सूर्य और छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इन्हें शक्ति, स्वास्थ्य, और जीवन की संजीवनी देने वाला देवता माना जाता है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी सिंगापुर में छठ पूजा की और सोशल मीडिया के माध्यम से इस पर्व की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने लिखा कि इस पर्व के माध्यम से वह सबके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

अंततः शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन हुआ, जिसमें भक्तों ने अपने परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना की। यह पर्व भारतीय संस्कृति में प्रकृति और लोक आस्था की गहरी जड़ों का प्रतीक है, जो एकता, संयम और भक्ति का संदेश देता है।

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