आदिवासी अस्मिता पर JMM का BJP को जवाब, सरना धर्म कोड को लेकर बढ़ी सियासी गर्मी

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आदिवासी अस्मिता के मुद्दे का मुकाबला करने के लिए खास रणनीति अपनाई है। झामुमो ने छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल की कटाई और सरना धर्म कोड जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाकर बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया है।
हाल ही में गुमला में चुनाव प्रचार के दौरान, झामुमो की नेता कल्पना सोरेन ने विधायक भूषण तिर्की के समर्थन में हसदेव जंगल का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनने के बाद वहां हसदेव जंगल को काटा जा रहा है और आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल किया जा रहा है। उनका कहना था कि यह आदिवासियों की अस्मिता और अधिकारों पर हमला है, जिसे झामुमो किसी भी हालत में सहन नहीं करेगी।
कल्पना सोरेन ने सरना धर्म कोड का मुद्दा भी उठाया, जिसमें उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड आदिवासियों के अस्तित्व का प्रतीक है, लेकिन बीजेपी इसे मान्यता देने से इंकार कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी आदिवासियों को वनवासी कहती है और उन्हें असली आदिवासी मानने से कतराती है। कल्पना सोरेन के मुताबिक, बीजेपी का यह रवैया आदिवासियों की अस्मिता और उनके धार्मिक अधिकारों का अपमान है।
इस मुद्दे को झामुमो के अन्य नेता, जैसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी जोरदार तरीके से उठा रहे हैं। चतरा में अपनी चुनावी जनसभा के दौरान, हेमंत सोरेन ने कहा कि बीजेपी ने हसदेव के जंगलों को अपने व्यापारी मित्रों के हित में उजाड़ दिया है, और जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें जेल में डाल दिया जा रहा है। उन्होंने बीजेपी पर झारखंड में आदिवासियों की जमीन छीनने की साजिश रचने का आरोप भी लगाया।
झारखंड में हेमंत सरकार पहले ही विधानसभा में सरना धर्म कोड का बिल पास कर चुकी है और इसे केंद्र सरकार के पास भेज चुकी है। झामुमो इस मुद्दे को लेकर लगातार मोदी सरकार को घेरती रही है, और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर सरना धर्म कोड की मांग उठा चुके हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को प्रचार में उछाला था।
इस प्रकार, झारखंड चुनाव में झामुमो आदिवासी अस्मिता और धार्मिक अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करके बीजेपी के खिलाफ जनसमर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है।