सुपरकार्स का शहर बना इंदौर: देश में पहली बार यहां उतरीं तीन एक्सक्लूसिव सुपरकार्स!

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इंदौर में सुपरकार्स के प्रति लोगों की दीवानगी तेजी से बढ़ती जा रही है। जहाँ 2018 में शहर में केवल पांच से दस सुपरकारें थीं, वहीं आज उनकी संख्या 50 से अधिक हो चुकी है। इनमें से कुछ कारें तो ऐसी हैं, जिन्हें पूरे देश में सबसे पहले इंदौर में डिलीवर किया गया। इंदौर के सड़कों पर फर्राटा भरने वाली इन लग्जरी कारों में फरारी, लैंबार्गिनी, मैक्लारेन, रोल्स रॉयस, पोर्शे, और बैंटले जैसे ब्रांड शामिल हैं।

 

मालवा सुपरकार्स क्लब का योगदान
मालवा सुपरकार्स क्लब के फाउंडर अशेंद्र सिंह गौड़ का कहना है कि इंदौर में जितनी भी एग्जोटिक कारें हैं, वे मुंबई और दिल्ली से मंगवाई जाती हैं। इंदौरवासियों के इस शौक का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि शहर में ऐसी तीन कारें भी हैं, जिन्हें भारत में सबसे पहले इंदौर में लाया गया। इनमें लैंबार्गिनी हुराकन एडब्ल्यूडी ईवो कूपे, फरारी 296 जीटीएस (कन्वर्टेबल), और लैंबार्गिनी यूआरयूएस परफोर्मेंट जैसे मॉडल शामिल हैं।

 

2020 के बाद का ट्रेंड
इंदौर में सुपरकार्स का क्रेज 2018 के बाद शुरू हुआ, लेकिन 2020 के बाद इस क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आया। अब शहर में इन गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जहां पहले केवल कुछ ही सुपरकार्स थीं, वहीं अब इनकी संख्या 50 से ज्यादा हो चुकी है, और शहर की सड़कों पर इन कारों को दौड़ते देखना एक आम दृश्य बन गया है।

 

कस्टमाइजेशन में करोड़ों का खर्च
सुपरकार्स की कीमत तो करोड़ों में होती ही है, लेकिन उनका कस्टमाइजेशन भी बेहद महंगा होता है। इन कारों के इंटीरियर में इस्तेमाल होने वाले लेदर की कीमत 10 से 25 लाख रुपये तक हो सकती है। अल्कनटारा लेदर के लिए 10 से 20 लाख रुपये तक का खर्च आता है। इसके अलावा, इन कारों पर किए गए विशेष पेंट का खर्च भी 5 लाख से लेकर 50 लाख रुपये तक हो सकता है।

 

इंदौरवासियों का सुपरकार्स के प्रति जुनून
इंदौर में सुपरकार्स के बढ़ते क्रेज को देखकर यह कहा जा सकता है कि शहर के लोगों का लग्जरी गाड़ियों के प्रति आकर्षण किसी से कम नहीं है। मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जहां सुपरकार्स आम हैं, वहीं इंदौर जैसे शहर में इन गाड़ियों की संख्या का बढ़ना बताता है कि यहां के लोग भी नई-नई चीजों को अपनाने में आगे हैं।

 

इंदौरवासियों का यह शौक न केवल उनकी जीवनशैली को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि शहर धीरे-धीरे एक नए आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर पहुँच रहा है, जहाँ लोग नए ट्रेंड्स और लग्जरी चीजों को अपनाने में पीछे नहीं हैं।

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