बाबा सिद्दीकी की हत्या, पप्पू यादव का कड़ा ऐतराज, कानून से मांगी अनुमति

बाबा सिद्दीकी की हत्या ने पूरे देश में एक शोक और गुस्से की लहर पैदा कर दी है, विशेषकर बिहार के गोपालगंज में, जहाँ से उनका संबंध है। बाबा सिद्दीकी, जो कि एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती थे, उनकी हत्या ने राजनीतिक हलचलों को और तेज कर दिया है। उनके हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है, जिससे पूरे देश में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।
बिहार के पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लॉरेंस बिश्नोई को “दो टके का अपराधी” करार दिया है और गैंग के खिलाफ अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि इस प्रकार के अपराधी समाज के लिए एक खतरा हैं। पप्पू यादव का यह बयान न केवल उनके व्यक्तिगत गुस्से का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि अपराध और राजनीति के बीच का गहरा संबंध कैसे समाज में भय का माहौल उत्पन्न कर रहा है।
बाबा सिद्दीकी का जीवन एक प्रेरणा की कहानी है। उन्होंने एनएसयूआई और युवक कांग्रेस के माध्यम से राजनीति में कदम रखा और मुंबई में अपनी पहचान बनाई। वे बिहार आते-जाते रहते थे और अपने पैतृक गांव के लोगों के साथ गहरे संबंध बनाए रखते थे। उनकी हत्या ने उनके गांव, माझागढ़ शेखटोली, में मातम का माहौल पैदा कर दिया है। गांव के लोग उन्हें अपना हीरो मानते थे, और उनकी अनुपस्थिति ने पूरे गांव को अनाथ सा महसूस कराया है।
मातम की यह स्थिति केवल एक या दो परिवारों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर घर में शोक की छाया है। गांव वालों के लिए बाबा सिद्दीकी का निधन सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक सामुदायिक पहचान का अंत है। उनका योगदान और उनकी सामाजिक सक्रियता ने उन्हें न केवल राजनीति में, बल्कि आम जनजीवन में भी महत्वपूर्ण बना दिया था।
इस प्रकार, बाबा सिद्दीकी की हत्या ने न केवल उनके परिवार और करीबी लोगों को दुखी किया है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे को भी उजागर करती है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे समाज में सुरक्षा, न्याय और अपराध के खिलाफ संघर्ष कैसे सुनिश्चित किया जाए।