HARIYANA NEWS: पीजीआई और सीएसआईओ के 5 वर्षों के शोध की विश्वभर मे सराहना; अब नवजात बच्चों की पीलिया का ईलाज होगा आसान

नवजात में गंभीर पीलिया के इलाज को आसान बनाने के लिए पीजीआई के विशेषज्ञों ने पहली बार सीएसआईआर-सीएसआईओ (सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रमेंट्स आर्गेनाइजेशन) के साथ मिलकर एक विशेष डिवाइस बनाई है।



इन बच्चों में खून बदलने की प्रक्रिया के लिए तैयार डबल वॉल्यूम एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन डिवाइस से अब ढाई घंटे का काम 45 मिनट में पूरा हो सकेगा। वहीं, इसमें गलती की गुंजाइश भी नहीं रहेगी। पीजीआई और सीएसआईओ के 5 वर्षों के शोध को विश्वभर ने सराहा है। डिवाइस के पेटेंट के बाद ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रक्रिया पूरी कर इंडस्ट्री पार्टनर के साथ बाजार में उतारने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पीजीआई के एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर के प्रो. सौरभ दत्ता और सीएसआईओ के वैज्ञानिक डॉ. संजीव वर्मा ने बताया कि मैनुअली चार स्टेप में की जाने वाली प्रक्रिया को दो स्टेप में पूरा किया जा सकेगा। अगर किसी भी स्तर पर चूक हुई तो तत्काल सेंसर आगाह करेगा। जैसे-जैसे प्रक्रिया पूरी होगी डिवाइस पर डिसप्ले होगा। प्रो. सौरभ दत्ता ने बताया कि मैनुअली इस प्रक्रिया में लगभग ढाई घंटे का समय लगता है। प्रक्रिया के दौरान कम से कम एक डॉक्टर और एक नर्स तैनात रहते हैं। एक-एक प्रक्रिया को लगातार चार्ट पर लिखना होता है कि कितने साइकिल हो गए। इस दौरान गलती होने का खतरा रहता है। इस जटिलता को देखते हुए स्थिति को ऑटोमैट करने पर विचार किया गया। जिसमें एक मशीन में ये सारी प्रक्रिया फीड की गई कि कितने देर में खून निकालना है, कोई एयर बबल अंदर न जाए, क्लॉट न हो, ब्लड सेल ब्रेक न हो। क्योंकि नवजात के लिए एयर बबल बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। ये नवजात के हृदय के अंदर बने कनेक्शन के माध्यम से ब्रेन तक पहुंच जाता है। उस स्थिति में अगर वो बबल फंस गया तो खून जम सकता है। इससे तत्काल स्ट्रोक हो सकता है। इस डिवाइस को बनाने में सीएसआईआर-सीएसआईओ के डॉ. अरिंदम चटर्जी का भी योगदान रहा।

 

 

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