उन्नाव दुष्कर्म मामला: कुलदीप सेंगर को मोतियाबिंद सर्जरी के लिए जमानत, 27 जनवरी को करेंगे आत्मसमर्पण

उन्नाव दुष्कर्म मामला: कुलदीप सेंगर को मोतियाबिंद सर्जरी के लिए जमानत, 27 जनवरी को करेंगे आत्मसमर्पण

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक और उन्नाव दुष्कर्म मामले के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को मोतियाबिंद की सर्जरी कराने के लिए अंतरिम जमानत दे दी है।

न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने आदेश दिया कि सेंगर को गुरुवार को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए, ताकि उसे शुक्रवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया जा सके।

अदालत ने आदेश दिया कि यदि 24 जनवरी को सर्जरी नहीं की जाती है तो सेंगर को उसी दिन जेल में आत्मसमर्पण करना होगा। अदालत ने आगे आदेश दिया कि एम्स में सेंगर के वार्ड के बाहर दिल्ली पुलिस का एक कांस्टेबल तैनात किया जाए।

अदालत ने उसे 27 जनवरी को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कहने की जरूरत नहीं है कि आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा। सेंगर को मेडिकल बेल पर रिहा किए जाने का यह दूसरा मामला है।

अदालत ने शुरू में सेंगर को एम्स द्वारा उनकी स्थिति का मेडिकल मूल्यांकन करने के लिए 20 दिसंबर, 2024 तक मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद, मेडिकल बेल को 4 सप्ताह के लिए 20 जनवरी तक बढ़ा दिया गया था, इस टिप्पणी के साथ कि आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा।

सेंगर ने अपनी मेडिकल बेल की अवधि समाप्त होने के बाद 20 जनवरी को तिहाड़ जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।इसके बाद उन्होंने मोतियाबिंद सर्जरी के संबंध में फिर से अदालत का रुख किया। उन्होंने प्रक्रिया के लिए 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित करने की मांग की।

सेंगर के अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने कहा कि सेंगर की आंखों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। अदालत को बताया गया कि उसे रेटिना संबंधी समस्या है, जिसके लिए उसे तत्काल मोतियाबिंद सर्जरी और लेजर थेरेपी की आवश्यकता है। शिकायतकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता महमूद प्राचा ने अंतरिम जमानत की मांग वाली अर्जी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अदालत ने पहले भी उसकी मेडिकल जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति चावला ने कहा भले ही अदालत ने जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया हो, लेकिन अगर उसे अनुमति दी जाती है तो कोई मुसीबत नहीं आएगी। वह उसी दिन वापस आत्मसमर्पण कर सकता है। इस बीच, पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में सजा को निलंबित करने की मांग करने वाली सेंगर की अर्जी भी आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई। न्यायमूर्ति विकास महाजन ने पीड़िता के वकील को याचिका पर जवाब देने के लिए समय दिया। अदालत ने कहा कि वह मामले की सुनवाई को टालने के पक्ष में नहीं है।

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