Delhi Elections: प्रयागराज में श्रद्धालुओं का महाकुंभ, दिल्ली में नेताओं का; दोनों जगह सितारे जमीं पर

देश के इस समय दो ही ईवेंट चर्चा में हैं। एक तो महाकुंभ और दूसरा दिल्ली में विधानसभा चुनाव। प्रयागराज महाकुंभ में देश भर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं तो साधु-संत व अखाड़ों की धूम है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली में देश भर के नेताओं का जमघट लगा हुआ है। प्रधानमंत्री से लेकर विभिन्न पार्टियों के बड़े-बड़े नेताओं व स्टार प्रचारकों का शोर है। सभी राजनीति के इस यज्ञ में आहुतियां डालने को आतुर हैं।
इस सबके बीच आम जनता राजनीति के अलबेले रंग देख भौचक्की है। सभी के मुंह से बरबस निकल रहा है कि श्रद्धालुओं का महाकुंभ प्रयागराज में चल रहा है तो राजनेताओं का दिल्ली में।
दिल्ली के बीच से बहती हुई यमुना प्रयागराज में गंगा में मिल जाती है। संगम के तट पर महाकुंभ चल रहा है। संतों से लेकर श्रद्धालुओं तक की भीड़ है। प्रयागराज धर्म और अध्यात्म का केंद्र बना हुआ है। कई राज्यों से आए साधु-संतो के अखाड़े जमे हुए हैं। यह इत्तेफाक ही है कि ठीक उसी समय विधानसभा चुनाव के चलते दिल्ली राजनीति का केंद्र बना हुआ है। यहां पर कई राज्यों से राजनीतिक दलों के नेता व कार्यकर्ताओं ने डेरा डाला हुआ है। दूसरे राज्यों के नेताओं और कार्यकर्ताओं का यह दिल्ली प्रवास सभी राजनीतिक दलों की रणनीति का हिस्सा है।
दिल्ली की करीब 18 विधानसभा सीटों के परिणाम में प्रवासी मतदाताओं का प्रभाव दिखता है। यूपी, बिहार, उत्तराखंड, पंजाब से काम-नौकरी के लिए आई यह बड़ी आबादी दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में बसी हुई है। इस आबादी के वोट हासिल करने के लिए दलों ने अपने उस क्षेत्र विशेष के बड़े से लेकर छोटे नेता व कार्यकर्ताओं को बुलाया हुआ है।
यह लोग घर-घर जाकर अपनी भाषा में संवाद कर रहे हैं वहीं रिश्तेदारी है तो रुक कर वोट की अपील कर रहे हैं। पूर्वांचली, उत्तराखंडी, पंजाबी के हिसाब से चुनाव प्रचार व जनसंपर्क राजनीतिक दल कर रहे हैं।
बलिया से आए राम नरेश व उनके साथियों को उनकी पार्टी ने लक्ष्मी नगर में चुनाव प्रचार के लिए लगाया है। इस विधानसभा क्षेत्र में पूर्वांचली मतदाताओं का प्रभाव माना जाता है। इसी तरह बदरपुर, पालम, राजेंद्र नगर, किराड़ी, बुराड़ी, गोकुलपुर, पटपड़गंज, गोकलपुर, करावल नगर में पूर्वांचल से आए नेताओं व कार्यकर्ताओं को राजनीतिक दलों ने लगाया हुआ है। उत्तराखंड मूल के निवासी नई दिल्ली, आर के पुरम, कैंट, पालम, द्वारका में ज्यादा रहते हैं इसलिए यहां पर उत्तराखंड के नेता कार्यकर्ता लगाए गए हैं।