महाकुंभ: ‘हर-हर महादेव, जय श्री राम’ के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र डुबकी

महाकुंभ 2025 अपनी भव्यता, आस्था और आध्यात्मिकता के साथ प्रयागराज की पवित्र नगरी में श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है। संगम नोज समेत प्रमुख स्थायी और अस्थायी घाटों पर लाखों भक्त हर-हर महादेव, जय श्री राम और जय बजरंग बली के जयकारों के साथ डुबकी लगा रहे हैं। बिहार, हरियाणा, बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु इसमें भाग ले रहे हैं।
पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, अपने कठोर नियमों और आध्यात्मिक जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध कल्पवासियों ने संगम में डुबकी लगाई। 45 दिनों के इस महापर्व में, वे ब्रह्मचर्य, साधारण जीवन और नियमित प्रार्थना के व्रत का पालन करते हैं। इस वर्ष, सोमवार को पौष पूर्णिमा पड़ने का संयोग इस आयोजन को और भी विशेष बना रहा है। इससे भक्तों में अद्भुत उत्साह और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ है।
महाकुंभ की भव्यता ने न केवल भारतीय श्रद्धालुओं को बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों और आध्यात्मिक साधकों को भी आकर्षित किया है। दक्षिण कोरिया के यूट्यूबर्स, जापानी पर्यटक और रूस-अमेरिका समेत कई देशों के तीर्थयात्रियों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। स्पेन की क्रिस्टीना जैसी विदेशी मेहमानों ने इसे “जीवन में एक बार होने वाला अनुभव” कहा। विदेशी भक्त न केवल इस आयोजन को देखने आए, बल्कि अनुष्ठानों में सक्रिय रूप से भाग भी लिया।
संगम मेला और लेटे हनुमान मंदिर के आसपास की गतिविधियां उत्सव की जीवंतता को और बढ़ा रही हैं। पूजा सामग्री बेचने वाले विक्रेताओं और तिलक कलाकारों की व्यस्तता इस आयोजन की सफलता को दर्शाती है। प्रसाद, चुनरी और दीयों की भारी मांग से बाजारों में चहल-पहल है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक अनुभव सुनिश्चित करने के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। पवित्र घाटों की नियमित सफाई, रैनबसेरों की व्यवस्था, ई-रिक्शा स्टैंड और हेल्प डेस्क जैसी सेवाएं इस आयोजन को व्यवस्थित रूप से संचालित करने में मदद कर रही हैं। काशी इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर का टोल-फ्री नंबर 1533 श्रद्धालुओं की सहायता के लिए सक्रिय है।
महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का प्रतीक भी है। यह आस्था, भक्ति और आध्यात्मिकता का पर्व, देश और दुनिया के लोगों को जोड़ने और भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर है। इस आयोजन की भव्यता और महत्व इसे आने वाले वर्षों तक यादगार बनाएंगे।