Maharashtra Vidhan Sabha Chunav 2024: बीड मराठवाड़ा का अहम जिला है। पारसी के भीर शब्द से बीड बना। भीर का मतलब कुआं होता है। कहां जाता था कि बीड के ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में एक कुआं होता था। इन दिनों यह भी कहा जाता है कि गन्ना काटने के मजदूर भी सबसे ज्यादा यहीं पर हैं और पूरे महाराष्ट्र में जाकर काम करते हैं। पिछड़़ेपन का आलम यह है कि आज तक जिला मुख्यालय को रेल नेटवर्क से नहीं जोड़ा जा सका है और मुख्यालय पर कोई मेडिकल कॉलेज भी नहीं है। हालांकि लोगों का दावा है कि विकास भले कम हुआ हो, पर गाड़ियां खरीदने में वे दूसरे जिलों से आगे हैं
चुनावी मैदान को देखें तो इस बार जिले की कई सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजीत पवार और शरद पवार गुट के बीच जोरदार मुकाबला है। यह जिला गोपीनाथ मुंडे के परिवार की राजनीति से भी जुड़ा है। उनकी बेटी पंकजा मुंडे और भतीजे धनंजय मुंडे इस बार मिलकर मैदान में हैं। मराठा आरक्षण की आंच के कारण लोकसभा चुनाव में पंकजा मुंडे हार गई थीं।
पिछले विधानसभा चुनाव में यहां की छह सीटों में चार पर शरद पवार की पार्टी और दो पर भाजपा जीती थी। बाद में शरद गुट के बीड के विधायक को छोड़ तीन अजीत गुट में चले गए। पार्टियों के बंटवारे और गठबंधन के कारण कई सीटों पर ताकतवर उम्मीदवारों को भी उनकी पार्टी ने टिकट नहीं दिए। ऐसे में गंवराई सीट पर एनसीपी अजीत गुट से विजय पंडित हैं, तो शिवसेना उद्धव गुट से उनके चाचा बादाम राव पंडित मैदान में हैं। दोनों ही मराठा हैं। भाजपा के मौजूदा विधायक लक्ष्मण पंवार को गठबंधन के कारण टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने भी ताल ठोंक दी है। माजलगांव सीट से 4 बार के विधायक प्रताप सोलंकी पिछली बार शरद पवार की पार्टी से जीते थे, तो इस बार अजीत गुट से मैदान में हैं। शरद गुट से मोहन जगताप हैं, तो भाजपा के खाते में सीट न आने के कारण रमेश आडसगर बागी होकर मैदान में हैं। अष्टी सीट पर महायुति फ्रेंडली मुकाबला है। भाजपा से सुरेश धस व अजीत गुट से विधायक बाला साहेब अजबे मैदान में हैं। वहीं, शरद गुट ने महबूब शेख को उतारा है, तो चार बार के भाजपा विधायक भीमराव धोंडे बागी होकर मैदान में हैं।
बीड सदर सीट पर सगे चचेरे भाई मैदान में
40 प्रतिशत मराठा वोटरों वाली बीड सीट से शरद पवार गुट से मौजूदा विधायक संदीप क्षीरसागर मैदान में हैं। उनके सामने अजीत गुट ने उनके चचेरे भाई डॉ. योगेश क्षीरसागर को उतारा है। योगेश पेशे से चिकित्सक हैं। यहां अजीत और शरद के बीच मराठों के बड़े क्षत्रप होने की लड़ाई है। मराठा आंदोलन का यहां भी असर है और माना जा रहा है कि ओबीसी और मराठा वोट एक दूसरे के खिलाफ ही रह सकते हैं। हालांकि शिवसेना शिंदे गुट के बागी अनिल जगताप ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। जगताप का दावा है कि मराठा आरक्षण नेता मनोज जरांगे पाटिल का उनको समर्थन है। उनकी प्रचार गाड़ियों पर जरांगे के पोस्टर भी लगे हैं।
परली सीट पर मुंडे परिवार का दम
जिले की सबसे हॉट सीट परली वैजनाथ बनी हुई है। गोपीनाथ मुंडे की विरासत उनकी बेटी पंकजा मुंडे ने तो संभाली, लेकिन भतीजे धनंजय मुंडे बागी रहे। वह भाजपा की जगह शरद पवार के साथ रहे और पंकजा मुंडे के खिलाफ दो बार चुनाव भी लड़े। 2019 में उन्हें जीत भी मिली। इसमें मराठा वोटों के साथ पिछ़डे वोटों ने अहम भूमिका निभाई थी। इस बार धनंजय भाजपा में तो नहीं आए हैं, लेकिन महायुति गठबंधन के तहत एनसीपी अजीत गुट से लड़ रहे हैं। उनकी चचेरी बहन पंकजा ने प्रचार में उनका खूब साथ दिया। इस बार कांग्रेस के गठबंधन में शरद पवार गुट ने मराठा प्रत्याशी राजे साहेब देशमुख पर दांव लगाया है।