बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट की नई सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट ने बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राजद नेता विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में पटना हाईकोर्ट के पूर्व के फैसले को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया। बृजबिहारी प्रसाद की हत्या 1998 में पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में की गई थी, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी।

इस मामले में पूर्व लोजपा सांसद सूरजभान सिंह समेत छह अन्य आरोपियों को बरी किया गया है। उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनीं और इसके बाद फैसला सुरक्षित रखा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की बेंच ने 21 और 22 अगस्त को सुनवाई पूरी करने के बाद यह निर्णय दिया।

बृजबिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी, भाजपा और सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जो अंततः सफल हुई। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने न्याय प्रणाली की शक्ति और प्रभाव को दर्शाया है, खासकर जब मामला राजनीति और अपराध के जटिल रिश्तों से जुड़ा हो। यह निर्णय न केवल पीड़ित परिवार के लिए एक न्याय का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में अपराधियों के खिलाफ सख्त संदेश भी देता है।

इस निर्णय ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि न्यायालय किसी भी व्यक्ति को उसके राजनीतिक या सामाजिक स्थिति के आधार पर नहीं, बल्कि सबूतों और तथ्यों के आधार पर ही सजा देने का कार्य करता है।

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