J&K NEWS: जम्मू-कश्मीर चुनाव का अंतिम चरण पास; सब कर रहे चर्चा, मुख्यमंत्री कौन? हिन्दू या डोगरा

चुनाव का अंतिम चरण आते-आते अब लोग यही चर्चा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री कौन होगा। हिंदू या डोगरा।



सुबह के करीब साढ़े दस बजे का वक्त है। पद्मश्री पद्मा सचदेवा महिला राजकीय महाविद्यालय के सामने छात्राओं का एक समूह बातों में जुटा है। उसी समय कांग्रेस का झंडा लगे वाहन से एक ही तरह की साड़ी में चार महिलाएं उतरीं और उनके पास पहुंच गईं। छात्राओं से कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के जम्मू के बिश्नाह में शनिवार को होने वाली जनसभा में पहुंचने का आग्रह किया। सभा में ले जाने और छोड़ने की बात भी कही।

एक छात्रा सताक्षी बिलोरिया ने सवाल किया कि क्या प्रियंका जम्मू का सीएम बनेंगी? महिला नेता कुछ बोलें, उसके पहले ही सताक्षी ने जवाब भी दिया कि दीदी तो उमर अब्दुल्ला को सीएम बनाएंगी। गठबंधन जो है। इस बार हम जम्मू के सीएम के लिए वोट करेंगे। अब तक जम्मू का सीएम नहीं बना है। सताक्षी की बात काटते हुए दूसरी लड़की बोली- अब तक कोई डोगरा सीएम नहीं बना है…लेकिन, दीदी (प्रियंका) सीएम बनने को कहें, तो वे उन्हें ही वोट दे देंगी। इस बार हिंदू सीएम के लिए वोट पड़ेगा।

कॉलेज के सामने पुल के पास का यह दृश्य जम्मू के चुनावी मिजाज का संकेतक जैसा नजर आया। जम्मू-कश्मीर के दो चरणों के चुनाव कश्मीर व चिनाब वैली के इर्द-गिर्द केंद्रित रहे। चर्चा में फारुक-उमर, महबूबा-इल्तिजा, जमात-बरकती, आजाद-इंजीनियर, अल्ताफ और कर्रा ही ज्यादा रहे। वहां नेशनल कॉन्फ्रेंस व पीडीपी के अलावा जमात व रशीद इंजीनियर की अगुवाई में मैदान में उतरे निर्दलीयों की अहम भूमिका देखी गई।

तीसरे चरण का चुनाव जम्मू व आसपास का है। यहां चुनाव मुद्दों की जगह जम्मू अस्मिता पर केंद्रित होता नजर आ रहा है। कहा जा रहा है कि यह जमीन तैयार करने के लिए आरएसएस व उसकी टीम ने काफी मशक्कत की है। इसका असर विद्यार्थियों, बेरोजगार युवाओं के साथ बुजुर्गों व महिलाओं तक में दिख रहा है। सभी तकरीबन एक ही जैसा सवाल करते नजर आ रहे हैं…क्या मुख्यमंत्री कश्मीर के बजाय जम्मू से नहीं बन सकता? क्या हर बार मुस्लिम सीएम ही बनना चाहिए। एक ही परिवार के लोगों को सत्ता मिलनी चाहिए? कभी हिंदू सीएम नहीं बनना चाहिए?

कई जगह लोग कह रहे हैं कि जम्मू के लोग अपने सीएम, डोगरा सीएम या हिंदू सीएम के लिए वोट करने जा रहे हैं। इस बार अपने सीएम के लिए वोट नहीं पड़ा, तो जम्मू का सीएम कभी नहीं बन पाएगा। मगर लोगों में गुस्सा है कि किसी भी पार्टी ने सीएम चेहरा आगे नहीं किया। जम्मू के प्रसिद्ध बावे वाली माता के मंदिर के पास आकाश अंडोत्रा से मुलाकात हुई। यह मंदिर बाहु किले के परिसर में है। लोगों की श्रद्धा व मान्यता है कि देवी महाकाली के रूप में मौजूद बावे वाली मां जम्मू शहर को बाहरी खतरों से बचाती हैं। कहा जाता है कि जब पाकिस्तान ने युद्ध के दौरान जम्मू पर हवाई हमले किए, तो शहर को कोई नुकसान नहीं हुआ। बड़ी ब्राह्मणा में निजी कंपनी में अफसर आकाश कहते हैं कि शांत जम्मू में आतंकवाद सिर उठाने लगा है। इसे रोकना है, तो जम्मू का सीएम लाना होगा। इस बार लोग जम्मू के सीएम के बारे में सोच रहे हैं।

मुददे बहुत हैं…समाधान के लिए सीएम चाहिए

डीसी ऑफिस से पहले बर्तन कारोबारी राशिद से मुलाकात हुई। बुजुर्ग राशिद कहते हैं, जम्मू के मुसलमान कश्मीर के मुसलमानों की तरह नहीं सोचते। हम हमेशा से हिंदुस्तान के साथ रहे हैं। हम चाहते थे कि भाजपा-कांग्रेस हो या और कोई पार्टी, उसे बताना चाहिए कि हुकूमत में आने पर वे मुख्यमंत्री किसे बनाएंगे? किसी ने भी नहीं बताया। चुनाव बाद किसी को भी बना देंगे। यह गलत है।

  • मुद्दों पर कहते हैं कि शहर में न कोई मेयर है, न ही पार्षद। जाम बहुत है। सफाई हो नहीं रही। डेंगू से लोग परेशान हैं। एलजी राज में अफसर बेलगाम हो गए हैं। गाड़ियों का मनमाना चालान हो रहा है। बिजली के स्मार्ट मीटर से लोग परेशान हैं। 200 वाला बिल 800 रुपये आने लगा है।
  • वह कहते हैं कि पहले जम्मू तक ट्रेन आती थी। लोग माता वैष्णो का दर्शन कर लौटते थे, तो खूब खरीददारी करते थे। ट्रेन सीधे कटरा पहुंचा दी गई। कारोबार मंदा पड़ गया। इसके बाद दरबार मूव प्रथा से यहां कारोबार छह महीने तक खूब चलता था। प्रथा खत्म होने से जम्मू का कारोबार चौपट हो गया। कोई सुनने व समझने वाला नहीं है। इसके लिए चुना हुआ मुख्यमंत्री बहुत जरूरी है। हम तो चाहते हैं कि कोई डोगरा सीएम बने।

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