फर्स्ट टाइम MPs की सलाह: ‘नेतागीरी’ के टिप्स जो बदल सकते हैं खेल”

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मुंबई में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पहली बार सांसद बने नेताओं के साथ एक विशेष चर्चा आयोजित की गई। इस बातचीत का उद्देश्य यह जानना था कि युवा सांसद राजनीति में किस तरह के बदलाव लाना चाहते हैं और उनका कार्य देश की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति को कैसे प्रभावित करेगा।

कांग्रेस सांसद संजना जाटव, जो एक साधारण परिवार से आती हैं, ने बताया कि राजनीति उनके लिए एक नया अनुभव है। वह चर्चा में तब चर्चा में आईं जब उन्होंने अपनी जीत के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ खुशी से ठुमके लगाए। संसद में अपने पहले कदम रखते हुए उन्होंने महसूस किया कि वहां सब कुछ नया था। संजना ने साझा किया, “मैं एक गांव की महिला हूं और मैंने राजनीति में जो कुछ भी किया, वह मेरे लिए नया था। मैंने जिला पार्षद, विधायक और सांसद के चुनाव लड़े और अंततः संसद में पहुंची।”

दूसरी ओर, लोकजनशक्ति पार्टी की सांसद शांभवी चौधरी एक राजनीतिक परिवार से हैं। उन्होंने अपनी पृष्ठभूमि के बारे में बताते हुए कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है, लेकिन उनका मानना है कि सभी सांसदों को देश की सेवा करनी चाहिए। शांभवी ने यह भी कहा कि राजनीतिक परिवार से होना उनके लिए थोड़ा आसान हो सकता है, लेकिन चुनाव जीतने के लिए उन्हें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने स्पष्ट किया, “यह सही नहीं होगा कि एक राजनीतिक परिवार से आने के कारण सब कुछ आसान था। अन्य उम्मीदवारों की तरह, मुझे भी कठिन परिश्रम करना पड़ा, और एक महिला होने के नाते, शायद और भी अधिक मेहनत करनी पड़ी। अंततः यह मतदाताओं पर निर्भर करता है कि वे हमें चुनेंगे या नहीं।”

बीजेपी सांसद, जो मैसूर के एक महाराजा परिवार से आते हैं, ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि चाहे वह राजधर्म हो या लोकतांत्रिक धर्म, नेताओं को जनता के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आज की राजनीति में आने वाले सभी नेताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें जनता की उम्मीदों और आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील रहना होगा।

इन फर्स्ट टाइम MPs की बातचीत से यह स्पष्ट होता है कि युवा नेताओं के मन में अपने कार्यों और नीतियों के प्रति एक गहरी जिम्मेदारी है। वे न केवल अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा कर रहे हैं, बल्कि अपने मतदाताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी उजागर कर रहे हैं।

संजना जाटव की कहानी यह दिखाती है कि एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले लोग भी राजनीति में अपनी पहचान बना सकते हैं। उनके लिए संसद में प्रवेश करना एक बड़ी उपलब्धि है, जो उनके लिए न केवल व्यक्तिगत रूप से बल्कि उनके समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है।

वहीं, शांभवी चौधरी का दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि भले ही कोई राजनीतिक परिवार से आता हो, लेकिन चुनाव जीतने के लिए मेहनत की जरूरत होती है। उनकी बातों में यह साफ नजर आता है कि सफलता सिर्फ वंशानुगत नहीं होती, बल्कि मेहनत और समर्पण का भी परिणाम होती है।

बीजेपी सांसद की बातें इस बात को रेखांकित करती हैं कि सभी नेताओं को जनता की सेवा का ध्यान रखना चाहिए। उनका मानना है कि राजनीति में आने वाले हर व्यक्ति को लोगों की आकांक्षाओं और समस्याओं को समझना और उन्हें सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।

इस प्रकार, इस कॉन्क्लेव में फर्स्ट टाइम MPs ने अपने विचार साझा करते हुए न केवल अपने अनुभवों को बताया, बल्कि यह भी दर्शाया कि वे अपने कार्यों के प्रति कितने गंभीर हैं। युवा सांसदों की ये आवाज़ें देश की राजनीति में एक नई उम्मीद और ऊर्जा लेकर आई हैं। उनकी मेहनत और लगन से निश्चित ही आने वाले समय में समाज में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।

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