J&K NEWS: कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ है कुलगाम; कई पार्टियां चाहती है इस सीट को हथियाना, देखें क्या है पूरा मामला

कम्युनिस्ट पार्टी के गढ़ में पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अपनी पार्टी, पैंथर्स पार्टी भीम और पांच निर्दलीय सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सयार अहमद रेशी भी कड़ी टक्कर देने में जुटे हैं।



दक्षिण कश्मीर में कुलगाम सीट माक्सर्वादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) का गढ़ रही है। यहां से पार्टी के मो. यूसुफ तारिगामी 1996 से 2014 तक लगातार चार चुनाव जीत चुके हैं। 2014 के बाद हो रहे इस चुनाव में भी तारिगामी मैदान में हैं। उन्हें कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन है। कम्युनिस्ट पार्टी के गढ़ में पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अपनी पार्टी, पैंथर्स पार्टी भीम और पांच निर्दलीय सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सयार अहमद रेशी भी कड़ी टक्कर देने में जुटे हैं।

कुलगाम में जमात का अपना प्रभाव रहा है। यहां चुनाव बहिष्कार का आह्वान किया जाता था, लेकिन आठ सितंबर को बुगाम इलाके में हुई सभा में उमड़ी भीड़ ने दलीय प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी है। साढ़े तीन दशक से अधिक समय बाद जमात लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपरोक्ष रूप से सामने है। जमात का झुकाव पीडीपी की ओर माना जाता था। अब जमात के सदस्यों के मैदान में उतरने से अन्य पार्टियों के वोट बैंक में सेंधमारी हो सकती है।

जमात की सभा में उमड़ी भीड़ के बाद अन्य दलों की ओर से नए सिरे से रणनीति बनाई जाने लगी है। कुलगाम से प्रत्याशी रेशी का कहना है कि क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की ओर से राजनीति में पैदा किए गए शून्य को भरने की दिशा में काम होगा। वह आम कश्मीरियों के मुद्दे की बात करेंगे। जेलों में बंद राजनीतिक कैदियों की रिहाई पर बात होगी। जमात की ओर से लोकसभा चुनाव के मतदान में भी हिस्सेदारी हुई थी।

लोकसभा चुनाव में नेकां का पलड़ा रहा था भारी

इस बार फिर लावे पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। पीडीपी ने मो. आमिन डार, अपनी पार्टी ने मो. आकिब डार और पैंथर्स पार्टी भीम ने सुदर्शन सिंह पर दांव खेला है। कुलगाम विधानसभा सीट पर सभी पार्टियां तारिगामी के गढ़ को ढहाने में जुटी हैं। नेकां और कांग्रेस के समर्थन से उन्हें बल मिला है। पीडीपी के भी यहां समर्थक हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में नेकां को कुलगाम विधानसभा हलके में 19,864 मत मिले थे, जबकि पीडीपी को 1,192 और अपनी पार्टी प्रत्याशी को 2,132 मत हासिल हुए थे। लोकसभा चुनाव में भी नेकां का कांग्रेस से गठबंधन था और कम्युनिस्ट पार्टी समर्थन कर रही थी। इस विधानसभा चुनाव में भी नेकां व कांग्रेस का गठबंधन है। इस गठबंधन ने कुलगाम की सीट कम्युनिस्ट पार्टी के लिए छोड़ी है।

1996 से पीछे मुड़कर नहीं देखे तारिगामी

पिछले पांच विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो 1987 में तारिगामी ने कम्युनिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में नेकां प्रत्याशी ने 38.50 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। तारिगामी को 10.23 फीसदी मत मिले थे। मगर, 1996 के चुनाव में 69.65 फीसदी वोट पाकर बड़ी जीत दर्ज करने वाले तारिगामी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

  • 2008 तथा 2014 के चुनाव में उन्हें पीडीपी ने कड़ी टक्कर दी। 2008 में तारिगामी को 34.24, तो पीडीपी को 33.77 फीसदी मत मिले। 2014 में उन्हें पीडीपी के नजीर अहमद लावे को 38.06 प्रतिशत जबकि तारिगामी को 38.69 फीसदी वोट मिले। बाद में पीडीपी ने लावे को राज्यसभा में भेज दिया।
  • अनुच्छेद-370 हटने के बाद उन्होंने संसद में हंगामा किया। लेकिन पीडीपी से उनकी नहीं बनी और पार्टी छोड़कर सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस का दामन थाम लिया।

 

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