शिवलिंग पर बिच्छू: सुप्रीम कोर्ट ने शशि थरूर की याचिका पर कहा- ‘यह तो एक मेटाफर है, इस पर आपत्ति क्यों?’

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (10 सितंबर, 2024) को कांग्रेस सांसद शशि थरूर को राहत देते हुए उनके खिलाफ मानहानि मामले में कार्यवाही पर रोक लगा दी है. उन्हें आज इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में पेश होना था, लेकिन उससे एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया था. उन्होंने कोर्ट से आज ही सुनवाई करने की गुजारिश की थी, वरना उन्हें हाईकोर्ट में मानहानि की कार्यवाही के लिए उपस्थित होना पड़ता.

दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अगस्त को उनकी याचिका खारिज कर दी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की गई टिप्पणी ‘शिवलिंग पर बिच्छु’ के खिलाफ मानहानि का केस किया गया था, जिसके खिलाफ वह दिल्ली हाईकोर्ट गए लेकिन कोर्ट ने मानहानि का मामला रद्द करने से इनकार कर दिया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस आर महादेवन की बेंच शशि थरूर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. शशि थरूर के वकील ने कोर्ट में कहा कि शशि थरूर ने साल 2012 के कारवां मैगजीन के आर्टिकल का हवाला दिया था. याचिका में कहा गया कि एक आरएसएस नेता ने पीएम मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छु से की थी. शशि थरूर की दलील है कि उन्होंने एक पत्रिका में छपी बात को दोहराया था. शिकायतकर्ता को इस मामले में सीधे प्रभावित नहीं कहा जा सकता.

उन्होंने बताया कि साल 2018 में बैंगलोर लिटरेचर फेस्टविल में बोलते हुए शशि थरूर ने आरएसएस नेता की इस बात का जिक्र किया और इसको एक्स्ट्राऑर्डनरी मेटाफर बताया था. वकील ने याचिका में कहा कि आरएसएस नेता के इस बयान का वीडियो एक न्यूज चैनल पर भी चला गया था. शशि थरूर के वकील ने कहा कि जब 2012 में इस पर कोई आपत्ति नहीं की गई तो 2018 में अचानक से क्यों आपत्ति जताई गई.

शशि थरूर के वकील ने कोर्ट ने इस पर सवाल उठाए कि थरूर के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करने वाले बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने न तो कारवां मैग्जीन का जिक्र किया और न ही उस शख्स को आरोपी बनाया, असल में जिन्होंने यह बयान दिया था. वकील की इस दलील पर जस्टिस रॉय ने कहा कि यह तो एक रूपक (Metaphor) है, इस पर आपत्ति क्यों है.  वकील ने कोर्ट में कहा कि इसका मतलब है- साथ भी नहीं रह सकते और अलग भी नहीं रह सकते. जस्टिस रॉय ने कहा, ‘एक मेटाफर के कई मतलब हो सकते हैं. मुझे समझ नहीं आया कि किसी को इस पर आपत्ति क्यों है?’ सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता बीजेपी नेता राजीव बब्बर को नोटिस जारी किया और चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है.

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