AIIMS निदेशक को अस्पतालों के सुधार की जिम्मेदारी, HC की टिप्पणी: सबकुछ ठीक नहीं

दिल्ली हाई कोर्ट ने (AIIMS Director) को दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में सेवाओं में सुधार के लिए डॉ. एसके सरीन की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिशों को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी है। कोर्ट ने गौर किया कि शहर के स्वास्थ्य विभाग में सब कुछ ठीक नहीं है, जो अधिकारियों के बीच तीखी लड़ाई से जाहिर है।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में काम करने वाले चार सदस्य डॉक्टर खतरा महसूस कर रहे हैं और डरे हुए हैं। कोर्ट को इस बाबत डॉक्टर सरीन का पत्र मिला था, जिसमें आग्रह किया गया कि कमिटी को प्रस्तावित सुधारों से जुड़े कामों की निगरानी से अलग किया जाए|
कोर्ट ने ब्यूरोक्रेट्स और मंत्री (सौरभ भारद्वाज) के बीच आम सहमति की भारी कमी पर अफसोस जताया और कहा कि दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता निराशाजनक बनी हुई है और आम आदमी इसके लिए जिम्मेदार लोगों के हाथों उनकी उदासीनता का शिकार हो रहा है।
डॉक्टर सरीन के पत्र का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि माहौल काफी प्रतिकूल है। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों (स्वास्थ्य मंत्री और ब्यूरोक्रेट्स) द्वारा खुले तौर पर आरोप लगाए जा रहे हैं। कोर्ट ने इस तथ्य पर भी न्यायिक संज्ञान लिया कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक डॉक्टर के कथित रेप-हत्या के मामले में एक पार्टी कार्यकर्ता को आरोपी बनाया गया है।
कोर्ट ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि चार सदस्यीय डॉक्टरों की सर्विस को दो साल के लिए रिन्यू किया जाए और उन्हें परेशान न किया जाए। दिल्ली सरकार के सीनियर वकील ने कहा कि यह एक दुविधा हो सकती है जिसका सामना चार डॉक्टर कर रहे हो, धमकियां नहीं। उन्होंने इस मामले में एम्स डायरेक्टर को शामिल करने पर भी आपत्ति जताई क्योंकि यह संस्थान केंद्र सरकार के अधीन आता है।
जस्टिस मनमोहन ने वकील से कहा कि हम उन्हें राजनीति में शामिल न करें। हम कुछ लोगों को इस दौड़ से बाहर ही रखें। कोर्ट ने निर्देश दिया कि दिल्ली में बनने वाले 24 अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के पदों को क्रिएट करने पर चर्चा के लिए एक हफ्ते के भीतर संबंधित शहर के अधिकारियों की बैठक बुलाई जाए।