यह कैसा शिक्षा का अधिकार!,आंसू बहा रहे नौनिहाल बेटी पढाओ और शत प्रतिशत साक्षरता के नारे पर उठे सवाल

यह कैसा शिक्षा का अधिकार!,आंसू बहा रहे नौनिहाल
बेटी पढाओ और शत प्रतिशत साक्षरता के नारे पर उठे सवाल
आनन्द पब्लिक, महराजगंज (ब्यूरो प्रभारी मो. सलीमुल्लाह)
महराजगंज।सविधान शिल्पी डा भीम राव आम्बेडकर ने कहा था कि शिक्षा शेरनी का दूध है जो पिएगा वो दहाडेगा। देश के स्वावलंबन मेंशिक्षा सबसे अहम अंग है लेकिन विडम्बना है कि शिक्षा को लेकर ग्रामीण क्षेत्र में नौनिहालो को बिलखना पड रहा है। सरकार की परिषदीय के मर्जर की पालिसी का ऐसा आलम देखने को मिला जब बच्चो के शिक्षा का ठौर दो किमी दूर चला गया और छात्राए व दिव्यांग छात्र पढाई अधूरी रहने के अंदेश से फफक पडे तोआमजन भी मायूस हो उठे।
जनपद के 295परिषदीय स्कूलो मे 59से कम छात्र नामांकन पर विभाग ने नोटिस जारी किया। जिसमे से 165स्कूलो को मर्जर करते हुए ताला बंद कर दिया गया। छात्र छात्राओ को एक से लेकर चार किमी तक दूर जाने को विवश कर दिया गया। गांव गरीब तबके को किन्वेट मे भेजने पर आर्थिक दिक्कते बांधा बनने लगी तो चार किमी दूर जाने पर छात्राओ और नौनिहालो की सुरक्षा का डर सताने लगा। गांव गांव से मर्जर से आने वाली दिक्कतो को लेकर विरोध के स्वर उठे लेकिन शासन स्तर से अनसुनी कर दी गयी। स्कूल मर्जर का एक मर्माहत करने वाला वाक्या परतावल के रुद्रपुर भलुई गांव मे देखने को मिला, जहा स्कूल मर्जर होने के बाद दो किमी दूर करनौती मे बच्चो की शिक्षा निर्भर हो गयी। सुबह बच्चे गांव के स्कूल पर पहुचे तो ताला बंद देखकर फफक पडे।बच्चे बकायदा स्कूल बैग और ड्रेस मे स्कूर पहुचे और गेट पकर रोते हुए ताला खोलने की गुहार लगा रहे है। स्कूल की दिव्यांग छात्रा को व्हील चेयर पर लेकर पहुची एक महिला सवाल भी कर रही है कि उसकी बच्ची को दो किमी कौन लेकर जाएगा और लाएगा लेकिन उसकी बातो का जवाब देने वाला कोई नही था। शत प्रतिशत नामांकन और साक्षर भारत बनाने के लिए प्रत्येक एक किमी पर स्कूल खोले गये और शिक्षा पाकर गांव मजरे के परिवारो की दशा बदली लेकिन चंद्रमा पर चंद्रयान भेजने वाले देश मे स्कूल बंद करने की पालिसी को लेकर शिक्षाविद हतफ्रभ है। दिव्याघ छात्रा व नौनिहालो के पीठ पर बैग और पढने का जुनून के बीच शिक्षा का रास्ता बंद होने का वीडियो सोशल मिडिया पर वायरल हो रहा है और सरकार के मर्जर की पालिसी पर विरोध उठ रहे है।