BJP के लिए आसान नहीं दिल्ली का CM चुनना, सियासी मिजाज में फिट तो ब्रांड केजरीवाल की टक्कर का चाहिए चेहरा
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए पांच दिन हो चुके हैं, लेकिन बीजेपी अब तक अपने नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला नहीं कर पाई है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) के सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी के भीतर नए सीएम को लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है। 16 फरवरी को बीजेपी विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री का ऐलान होगा, लेकिन पार्टी ऐसे चेहरे की तलाश में है जो न केवल दिल्ली के सियासी मिजाज में फिट बैठे बल्कि ब्रांड केजरीवाल को भी कड़ी टक्कर दे सके।
बीजेपी चाहती है कि दिल्ली में ऐसा मुख्यमंत्री बनाया जाए जिसका अपना सियासी रसूख हो और जो पार्टी को भविष्य में मजबूत स्थिति में ला सके। दिल्ली की राजनीति में अब तक जितने भी मुख्यमंत्री बने हैं, उनका राजनीतिक कद काफी ऊंचा रहा है, चाहे वह शीला दीक्षित रही हों या अरविंद केजरीवाल।
दिल्ली को मिले हैं दमदार मुख्यमंत्री
बीते 32 वर्षों में दिल्ली को छह मुख्यमंत्री मिल चुके हैं। 1993 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी ने बहुमत हासिल कर मदनलाल खुराना को मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज भी मुख्यमंत्री बनीं। कांग्रेस की सरकार के दौरान शीला दीक्षित ने 15 साल तक दिल्ली की कमान संभाली और आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सबसे मजबूत राजनीतिक चेहरे बन गए।
बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती
27 साल बाद सत्ता में लौटी बीजेपी के लिए मुख्यमंत्री पद का चयन आसान नहीं है। पार्टी को ऐसा नेता चाहिए जो न केवल तेजतर्रार हो, बल्कि विकास का चेहरा भी बन सके। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तरह कड़े फैसले लेने वाला नेता बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन दिल्ली की राजनीति में हिंदुत्व की सियासत हमेशा प्रभावी नहीं रही है।
ब्रांड केजरीवाल को टक्कर देने की रणनीति
बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती ब्रांड केजरीवाल को टक्कर देने वाले नेता को आगे लाना है। आम आदमी पार्टी ने बीते सालों में दिल्ली में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है और बीजेपी अब इस राजनीतिक समीकरण को बदलने की कोशिश कर रही है। बीजेपी चाहती है कि उसका नया सीएम ऐसा चेहरा हो जो पार्टी की साख बनाए रखते हुए अगले चुनावों में मजबूत पकड़ बना सके।
राजधानी के सियासी मिजाज में कौन फिट होगा?
दिल्ली में अलग-अलग जातियों और समुदायों के लोग बसे हुए हैं, जिन्होंने इस बार के चुनाव में बीजेपी को बड़ी संख्या में वोट दिया है। पार्टी को अब एक ऐसे नेता की जरूरत है, जो इस वोटबैंक को बनाए रख सके और सभी समुदायों का समर्थन हासिल कर सके। पहले भी बीजेपी ने दिल्ली में कई चेहरे आजमाए हैं, लेकिन सत्ता में बने रहने में असफल रही थी। इस बार बीजेपी कोई जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहती और पूरी रणनीति के साथ मुख्यमंत्री का नाम तय करना चाहती है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि 16 फरवरी की बैठक में बीजेपी किसे दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुनती है।