Indore: अध्यक्ष नियुक्ति में समझौता राजनीति, विजयवर्गीय का दबदबा

इंदौर में भाजपा के नगर और जिला अध्यक्ष पद के लिए कई मजबूत दावेदार थे, लेकिन आखिरकार समझौते की राजनीति से हल निकला। विजयवर्गीय ने जिन नामों का समर्थन किया था, वे अध्यक्ष नहीं बन पाए, लेकिन उन नामों पर मुहर लग गई, जिन पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी। इस प्रकार, विजयवर्गीय का खेमे का प्रभाव इंदौर की अध्यक्ष नियुक्तियों पर स्पष्ट दिखाई दिया। सुमित मिश्रा और श्रवण चावड़ा भी विजयवर्गीय के खेमे से जुड़े हुए थे। चावड़ा की पैरवी खुद विजयवर्गीय ने देपालपुर विधानसभा सीट से की थी।इंदौर नगर निगम अध्यक्ष पद के लिए सुमित मिश्रा और दीपक जैन टीनू के बीच चुनाव था, जबकि वीडी शर्मा की पसंद मुकेश राजवात भी थे। मिश्रा और जैन दोनों ही विजयवर्गीय के समर्थक थे। हालांकि विजयवर्गीय ने जैन को अधिक बढ़ावा दिया था, लेकिन मिश्रा की नियुक्ति भी उनके खेमे में मानी जाएगी क्योंकि उन्हें विधायक मेंदोला का समर्थन था। मेंदोला और विजयवर्गीय के बीच की राजनीतिक दोस्ती जगजाहिर है।
ग्रामीण इंदौर में संगठन को एक नाम चुनने में ज्यादा समय लगा। विजयवर्गीय ने चिंटू वर्मा का समर्थन किया क्योंकि उनका कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया था। दूसरी तरफ, मंत्री तुलसी सिलावट ने अंतर दयाल का नाम जिलाध्यक्ष के लिए आगे बढ़ाया। दयाल को विधायक उषा ठाकुर, मनोज पटेल और विशाल पटेल का समर्थन था।हालांकि रायशुमारी में चावड़ा का नाम प्रमुखता से नहीं था, लेकिन विजयवर्गीय ने समझौते के तहत चावड़ा के नाम को मंजूरी दी। चावड़ा और चिंटू वर्मा के बीच अच्छा तालमेल था, और चावड़ा को विजयवर्गीय से नजदीकी का फायदा मिला। इस प्रकार, इंदौर में भाजपा की अध्यक्ष नियुक्ति प्रक्रिया राजनीतिक समझौते और रिश्तों के आधार पर सुलझी।