नंदराज गौशाला में गायों का मामला तूल पकड़ा, जांच में 530 गायें मौके पर पाई गईं

उज्जैन जिले के खाचरोद के लिंकोडिया गांव में स्थित नंदराज गौशाला में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, गौशाला में 1028 गायों की अनुदान राशि दी जा रही थी। हालांकि, जब प्रशासन द्वारा जांच की गई, तो मौके पर केवल 530 गायें ही पाई गईं। इस गंभीर अंतर ने गौशाला के प्रबंधन और प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घोटाले को उजागर करने में अमर उजाला ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच दल का गठन किया। इस दल में अधिकारियों और सरकारी डॉक्टरों को शामिल किया गया। जांच के दौरान सरकारी डॉक्टरों ने भी रिकॉर्ड और वास्तविकता के बीच अंतर की पुष्टि की। उनका कहना है कि इस अंतर का स्पष्ट जवाब केवल गौशाला समिति ही दे सकती है।
घटनाक्रम से आक्रोशित संतों ने आंदोलन का सहारा लिया। उन्होंने प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। अपनी नाराजगी जताने के लिए कुछ संतों ने सिर तक मुंडवा लिए। बगलामुखी मंदिर के स्वामी कृष्णानंद महाराज ने गायब गायों की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की और सरकार को चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
प्रशासन की ओर से कार्रवाई में देरी और घोटाले की खबर ने समाज में गहरी चिंता पैदा की है। सवाल यह है कि गायों की संख्या में इतना बड़ा अंतर क्यों है? क्या अनुदान राशि का दुरुपयोग हो रहा है? इसके अलावा, सरकार की जवाबदेही पर भी सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी अनियमितताओं को समय पर क्यों नहीं रोका गया।
यह मामला न केवल गौशालाओं के प्रबंधन बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। संतों और स्थानीय लोगों के दबाव के बाद प्रशासन हरकत में आया है, लेकिन अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि दोषियों पर कार्रवाई कब तक होती है और गायों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है।